तिरुवनंतपुरम, 17 अक्टूबर माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने शनिवार को कहा कि जब तक धर्म को राजनीति और सरकार को कड़ाई से अलग नहीं रखा जाता तब तक धर्मनिरपेक्षता को नहीं बचाया जा सकता।
येचुरी ने कहा कि आरएसएस जैसी ताकतें देश की समावेशी सांस्कृतिक पहचान के बजाय उसे एक हिंदू पहचान देने के लिए उसके इतिहास, संस्कृति, शिक्षा नीति में बदलाव लाकर देश को अतीत के अंधकार की ओर ले जाना चाहती हैं।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर माकपा के प्रदेश स्तर के समारोहों का वीडियो कॉन्फ्रेंस से उद्घाटन करते हुए येचुरी ने कहा, ‘‘धर्मनिरपेक्षता का अर्थ होता है धर्म को राजनीति और राज्य से अलग करना।’’
उन्होंने कहा कि सभी को अपने धर्म को चुनने का अधिकार है और इन अधिकारों की रक्षा करने का कर्तव्य सरकार का, कानून का है और कम्युनिस्ट इसे बचाने के लिए हमेशा खड़े रहेंगे।
येचुरी ने कहा कि सरकार या राज्य का कोई धर्म नहीं होता और लोगों के धर्म या आस्था संबंधी सभी अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि हमारे संविधान में धर्मनिरपेक्षता की व्याख्या सभी धर्मों की समानता के तौर पर की गयी है।’’
माकपा नेता ने कहा, ‘‘आज हमारे सामने आरएसएस जैसी ताकतें हैं जिनकी राजनीतिक इकाई भाजपा है जो भारत को अतीत के अंधकार तथा पिछड़ेपन की ओर ले जाना चाहते हैं।’’
इससे पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा कि कम्युनिस्ट पार्टी लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की आवाज हैं जिन्हें फासीवादी ताकतें दबा रही हैं।
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