जयपुर, सात नवम्बर राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण से उपजे संकट से वैश्विक शासन व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र को आत्ममंथन करना चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने वैश्विक शासन व्यवस्था में भारत को निर्णायक भूमिका दिए जाने की मांग की।
मिश्र विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन ‘ग्लोबल गवर्नेंस: ए पोस्ट-कोविड इम्परेटिव’ को बतौर मुख्य अतिथि ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे।
मिश्र ने कहा कि कोविड-19 महामारी के इस दौर में मानव मूल्यों पर ही खतरा नहीं मंडराया है बल्कि वैश्विक शासन व्यवस्था पर भी प्रश्न खड़े हुए हैं।
उन्होंने संकट की इस घड़ी में संयुक्त राष्ट्र संघ को गंभीर आत्ममंथन किए जाने की आवश्यकता जताते हुए एक ऐसी नई बाध्यकारी व प्रभावशाली वैश्विक शासन व्यवस्था को अपनाए जाने पर जोर दिया है जो संपूर्ण मानव जाति की भलाई के लिए समान रूप से कार्य करे।
राज्यपाल ने संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत वैश्विक शासन व्यवस्था में भारत को निर्णायक भूमिका दिए जाने की भी मांग की।
उन्होंने विश्व सरकार, विश्व संसद और विश्व न्यायालयों की स्थापना के लिए भी वैश्विक स्तर पर कार्य किए जाने पर जोर दिया।
उन्होंने कोरोना वायरस की महामारी के इस दौर में विश्वभर के राष्ट्रों के साझा हितों पर समझ के साथ कार्य किए जाने की आवश्यकता जताई।
उन्होंने कहा कि वैश्विक शासन व्यवस्था की बेहतरी का कार्य संयुक्त राष्ट्र का होता है, परन्तु इसमें सदस्य राष्ट्रों को भी एक वैश्विक मत होकर सभी देशों की आवश्यकता के अनुरूप तय रणनीति पर कार्य करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की सोच के साथ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा से यदि सभी विश्व एकमत होकर कार्य करें तो इसके मानवता की भलाई में बेहतर परिणाम सामने आ सकते हैं।
सम्मेलन में विश्व न्यायाधीश सम्मेलन के अध्यक्ष ताईवान के डॉ. हौंग ताओ तजे, सुप्रीम कोर्ट आफ अपील मलावी के न्यायमूर्ति एंड्रयू के.सी. ने भी विचार रखे।
सम्मेलन में विश्व के 50 देशों के लगभग 200 प्रतिनिधियों ने ऑनलाइन हिस्सा लिया।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)