विदेश की खबरें | यूक्रेन संकट : हालात से निपटने के लिए विभिन्न देशों के रुख पर अब तक की जानकारी

रूस ने लगातार इस बात से इनकार किया है कि वह हमले की योजना बना रहा है, लेकिन अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों का मानना है कि रूस युद्ध की ओर बढ़ रहा रहा है तथा इसके लिए तैयारी कर रहा है। यूक्रेन को लेकर अंतरराष्ट्रीय तनाव के बारे में कुछ जानने योग्य बातें हैं, जो शीत युद्ध की याद ताजा करते हैं।

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि रूस को बुधवार को दिए गए लिखित जवाब में यूक्रेन और नाटो को लेकर उसकी मुख्य मांगों पर अमेरिका ने कोई रियायत नहीं दी है। ब्लिंकन ने कहा कि रूस में अमेरिकी राजदूत जॉन सुलिवन द्वारा रूसी विदेश मंत्रालय को दिए गए जवाब में नाटो की सदस्यता नीति और पूर्वी यूरोप में गठबंधन की सैन्य उपस्थिति जैसे ‘‘मूल सिद्धांतों’’ में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

ब्लिंकन ने कहा कि लिखित दस्तावेज ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका अपने बताए गए रुख पर अडिग है। उन्होंने कहा, ‘‘कोई बदलाव नहीं हुआ है, कोई बदलाव नहीं होगा।’’ हालांकि, उन्होंने कहा कि रूस को लिखित जवाब में अन्य मामलों पर रूसी चिंताओं को दूर करके यूक्रेन पर बढ़ते तनाव को कम करने के लिए एक राजनयिक मार्ग को लेकर ‘‘गंभीर’’ प्रस्ताव भी शामिल है।

अमेरिका की यह प्रतिक्रिया ऐसे वक्त आई है जब रूस चेतावनी दे रहा है कि यदि अमेरिका और उसके सहयोगी उसकी सुरक्षा मांगों को अस्वीकार करते हैं तथा यूक्रेन पर अपनी ‘‘आक्रामक’’ नीतियों को जारी रखते हैं तो वह जल्द ही ‘‘जवाबी कार्रवाई’’ करेगा।

इस बीच, तनाव बढ़ने पर यूक्रेन के अधिकारियों ने हालात को शांत करने की कोशिश की है। यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने बुधवार को कहा कि यूक्रेन के पास रूसी सैनिकों का जमावड़ा एक खतरा है, लेकिन ‘‘उनकी संख्या बड़े पैमाने पर हमले के लिए अपर्याप्त है।’’

हालांकि, पूर्वी यूक्रेन में सैनिक और नागरिक बेबस स्थिति के साथ इंतजार कर रहे हैं कि युद्ध होता है या नहीं। उनका मानना है कि उनके भाग्य का फैसला दूर राजधानियों में राजनेता कर रहे हैं। इस युद्धग्रस्त क्षेत्र में 2014 से ही रूस समर्थक अलगाववादी लड़ाकों से लड़ाई जारी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि यह ऐसा क्षेत्र है जहां रूस ने हजारों सैनिकों को इकट्ठा किया है और वह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे बड़ा आक्रमण कर सकता है।

वहीं, कूटनीतिक मोर्चे पर यूक्रेन के पूर्वी औद्योगिक क्षेत्र में अलगाववादी संघर्ष पर चर्चा करने के लिए रूस, यूक्रेन, फ्रांस और जर्मनी के दूतों ने बुधवार को पेरिस में आठ घंटे से अधिक समय तक वार्ता की। हालांकि कोई सफलता नहीं मिली। अब, उन्होंने बर्लिन में दो सप्ताह में नयी वार्ता के लिए मिलने का वादा किया है। यूक्रेन के प्रतिनिधि एंड्री यरमक ने स्वीकार किया कि बुधवार की वार्ता ने सीमा पर मौजूदा तनाव के बारे में समाधान पर चर्चा नहीं की गई या पिछले मतभेदों को हल नहीं किया।

ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रुस ने यूरोपीय देशों से यूक्रेन का समर्थन करने के लिए और अधिक प्रयास करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि हमारे सहयोगी यूक्रेन को प्रतिरक्षा के लिए और अधिक मदद करें।’’ नाटो सहयोगियों में विशेष रूप से जर्मनी से यूक्रेन की अधिक से अधिक मदद का आग्रह किया जा रहा है। हालांकि आलोचक कह रहे हैं कि यूक्रेन की सुरक्षा पर जर्मनी, रूस के साथ अपने आर्थिक संबंध को ज्यादा प्राथमिकता दे रहा है।

वहीं, कनाडा यूक्रेन के सैनिकों को प्रशिक्षित करने के अपने मिशन को तीन साल बढ़ा रहा है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बुधवार को कहा कि कनाडा भी अपने मिशन का विस्तार करेगा, जिसे ‘ऑपरेशन यूनिफायर’ के नाम से जाना जाता है। जबकि, पोप फ्रांसिस ने आग्रह किया है कि नेता व्यक्तिगत हितों को अलग रखें और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की चिंताओं के बीच बातचीत को आगे बढ़ने दें।

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