मुंबई, 25 जून ब्रोकरेज फर्म यूबीएस सिक्योरिटीज ने चेतावनी दी है कि भारत में मुद्रास्फीति की दर चालू वित्त वर्ष के दौरान औसतन पांच प्रतिशत रह सकती है, हालांकि इसके और अधिक रहने के जोखिम भी हैं।
गौरतलब है कि मई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बढ़कर 6.3 प्रतिशत और थोक मुद्रास्फीति 12.94 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
खाद्य तेलों और प्रोटीन आधारित उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति छह महीने के उच्च स्तर 6.3 प्रतिशत पर पहंच गई, जो रिजर्व बैंक द्वारा तय 4-6 प्रतिशत के दायरे से अधिक है। इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से भी महंगाई के मोर्चे पर दबाव बना हुआ है।
यूबीएस सिक्योरिटीज की भारत में मुख्य अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन ने कहा, ‘‘सीपीआई मुद्रास्फीति आरबीआई के चार प्रतिशत के मध्यम अवधि के लक्ष्य से ऊपर है और वित्त वर्ष 2021-22 में औसतन पांच प्रतिशत होगी।’’
उन्होंने उम्मीद जताई कि मानसून के दौरान फलों और सब्जियों की कीमतों में मौसमी बढ़ोतरी से निकट अवधि में सीपीआई प्रभावित होगी।
रिपोर्ट में हालांकि कहा गया कि भारत बड़ी मात्रा में आयात किए जाने वाले खाद्य तेलों को छोड़कर बाकी खाद्य उत्पादन में काफी हद तक आत्मनिर्भर है।
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