नयी दिल्ली, 31 जुलाई विशेषज्ञों ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा किया जाना, उनकी ‘‘धमकाने वाली रणनीति’’ और नयी दिल्ली को इस्लामाबाद के साथ जोड़ने की बढ़ती कोशिशें द्विपक्षीय संबंधों में दो दशकों से अधिक समय से जारी सकारात्मकता के बाद चिंताजनक संकेत है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ व्यापार समझौते की घोषणा और बीजिंग के साथ इस्लामाबाद की मिलीभगत के बावजूद उसके ‘‘विशाल तेल भंडार’ को विकसित करने के लिए समर्थन की पेशकश समेत ट्रंप की कार्रवाई ने भारतीय उपमहाद्वीप के प्रति वाशिंगटन के समग्र दृष्टिकोण में ‘‘स्पष्ट बदलाव’’ को प्रतिबिंबित किया है।
विशेषज्ञों ने दलील दी कि भारत अब अमेरिका को एक रणनीतिक साझेदार के रूप में हल्के में नहीं ले सकता और उसे सेमीकंडक्टर, महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों, ऊर्जा तथा आतंकवाद से निपटने के क्षेत्रों में भारी चुनौतियों से अकेले ही निपटने की संभावना को स्वीकार करना पड़ सकता है।
ट्रंप ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर दोनों देशों के बीच जारी बातचीत में कुछ गतिरोध के संकेतों के बीच बुधवार को भारत पर एक अगस्त से 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की थी। इसके अलावा, ट्रंप ने रूस से सैन्य उपकरण और कच्चा तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त जुर्माना लगाने का भी फैसला किया।
ट्रंप ने एक बार फिर भारत और रूस के करीबी संबंधों को लेकर तीखा प्रहार किया और कहा कि दोनों देश अपनी ‘‘मृत अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ गर्त में’’ ले जा सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे परवाह नहीं है कि भारत, रूस के साथ क्या करता है। वे एक साथ अपनी मृत अर्थव्यवस्थाओं को गर्त में ले जा सकते हैं, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है।’’
विदेश नीति से जुड़े विशेषज्ञों ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों की वर्तमान स्थिति उस दिशा में प्रवेश कर गई है जो लगभग दो दशकों के तीव्र विस्तार के बिलकुल विपरीत है, जिसकी नींव 2000 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की भारत की अभूतपूर्व यात्रा के जरिये रखी गई थी।
पिछले कुछ महीनों में भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए कई दौर की बातचीत की, लेकिन कृषि और डेयरी समेत कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तीव्र मतभेदों के कारण इस पर अंतिम निर्णय नहीं हो सका।
इस संबंध में एक विशेषज्ञ ने कहा, ‘‘एक महीने पहले राष्ट्रपति ट्रंप की पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के साथ बैठक के बाद पाकिस्तान के प्रति अमेरिका के रुख में स्पष्ट बदलाव आया है।’’
विशेषज्ञ ने कहा कि यह विशेष रूप से परेशान करने वाली बात है क्योंकि ट्रंप प्रशासन भारत के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी चीन के प्रति काफी नरम रुख अपनाता दिख रहा है।
इस्लामाबाद के साथ वाशिंगटन के व्यापार समझौते की घोषणा करते हुए ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका पाकिस्तान के ‘‘विशाल तेल भंडार’’ को विकसित करने के लिए मिलकर काम करेगा।
पूर्व विदेश सचिव निरुपमा मेनन राव ने कहा, ‘‘हम एक संप्रभु लोकतंत्र हैं जिसका वैश्विक दृष्टिकोण है, न कि कोई बलि का बकरा। यदि साझेदारी ही लक्ष्य है, तो सम्मान ही एकमात्र आधार हो सकता है।’’
‘ग्लोबैट ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव’ (जीटीआरआई) के अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ट्रंप की भारत के उनके दबाव में न आने पर उनकी हताशा को दर्शाती है। एक तरह से, उनकी कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर हमारे अडिग रुख को भी दर्शाती है।’’
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