नयी दिल्ली, सात नवंबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से दिल्ली रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई से पूर्व की स्थिति बहाल करने के लिए किये गए उपायों के बारे में बताने को कहा, जहां कथित तौर पर सैकड़ों पेड़ों की अवैध कटाई की गई थी।
न्यायालय ने यह भी पूछा कि प्राधिकारों ने वहां कितना वृक्षारोपण किया है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने टिप्पणी की कि यह सुनिश्चित करने के लिए वह एक निगरानी प्रणाली लाएगी कि लगाए गए पेड़ अब भी जीवित हैं। पीठ ने आश्चर्य जताया कि क्या लगाए गए पेड़ों की संख्या का पता लगाने के लिए कोई स्वतंत्र तंत्र मौजूद है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस सिलसिले में आवश्यक निर्देश पारित करेगी। साथ ही, उसने डीडीए के वकील और याचिकाकर्ता से पेड़ों की कटाई की वस्तु स्थिति, कार्रवाई और निगरानी तंत्र के बारे में जानकारी देने को कहा।
यह रिज दिल्ली में अरावली पर्वत श्रृंखला का विस्तार है और पठारी वन क्षेत्र है।
प्रशासनिक कारणों से इसे चार क्षेत्रों - दक्षिण, दक्षिण-मध्य, मध्य और उत्तर - में विभाजित किया गया है। चारों का कुल क्षेत्रफल लगभग 7,784 हेक्टेयर है।
पीठ उस याचिका पर विचार कर रही है जिसमें क्षेत्र में पेड़ों की कथित तौर पर अवैध कटाई के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
न्यायालय ने पूछा, ‘‘आप रिज में पूर्व स्थिति बहाल करने के लिए क्या कर रहे हैं?’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम जानना चाहते हैं कि कितने पेड़ काटे गए और रिज में पूर्व स्थिति बहाल करने तथा वनारोपण के लिए क्या किया जा रहा है।’’
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुल 1,670 पेड़ काटे गए। याचिकाकर्ता ने अधिकारियों पर अवमानना का आरोप लगाया है।
हालांकि, डीडीए ने पहले कहा था कि काटे गए पेड़ों की संख्या 642 है।
शीर्ष अदालत ने संपर्क सड़क के निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई को लेकर डीडीए उपाध्यक्ष को अवमानना नोटिस जारी किया था।
बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने पूछा, ‘‘अब तक कितने पेड़ लगाए गए हैं?’’
शंकरनारायणन ने कहा कि एफएसआई को इस बारे में कुछ ब्यौरा देना होगा कि कितने पेड़ लगाए गए तथा वे किस स्थिति में है।
बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि रिज में 3,340 पेड़ लगाए जाने चाहिए और साथ ही काटे गए हर पेड़ की संख्या का 100 गुना पेड़ लगाया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘हम यह सुनिश्चित करने के लिए एक निगरानी तंत्र शुरू करेंगे कि पेड़ बचे रहें। हमें बस यह बताएं कि किस तरह की निगरानी व्यवस्था सुनिश्चित की जा सकती है।’’
पीठ ने 8 नवंबर को सुनवाई की तारीख तय करते हुए कहा, ‘‘हमें बताएं कि भविष्य में इसे रोकने के लिए हम किस तरह की प्रवर्तन व्यवस्था लागू कर सकते हैं।’’
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