मुंबई, 16 जुलाई अस्थिर अंतरराष्ट्रीय माहौल के बीच बढ़ते व्यापार घाटे और विदेशी निवेशकों द्वारा पूंजी निकासी पर कड़ी निगरानी जरूरी है। आरबीआई के एक लेख में यह बात कही गई।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम डी पात्रा के नेतृत्व वाली एक टीम द्वारा लिखे गए लेख में हालांकि कहा गया कि जिंस कीमतों में हालिया नरमी और आपूर्ति श्रृंखला के दबाव कम होने से देश को मुद्रास्फीति के जाल से बचने में मदद मिलेगी।
लेख के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक अस्थिरता के सामने लचीला बनी हुई है, लेकिन ‘‘भू-राजनीतिक बिखराव के प्रभाव कई क्षेत्रों में दिखाई दे रहे हैं तथा पुनरुद्धार की गति को कम कर रहे हैं।’’
आरबीआई बुलेटिन (जुलाई) में प्रकाशित लेख में कहा गया है, ‘‘अंतरराष्ट्रीय वातावरण अस्थिर है, और इसलिए मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार के बावजूद बढ़ते व्यापार घाटे और पूंजी वाह्य प्रवाह पर कड़ी और लगातार निगरानी जरूरी है।’’
केंद्रीय बैंक ने कहा कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और जरूरी नहीं कि वे भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हों।
लेख के मुताबिक, ‘‘इस भारी झटके के बावजूद, हवा में जो चिंगारी हैं, वह अर्थव्यवस्था की मूलभूत ताकत को प्रज्वलित करती हैं और इसे दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार करती है। हालांकि, मंदी का डर भी बना हुआ है।’’
लेखकों का मानना है कि हाल में मानसून में हुए सुधार से कृषि गतिविधियों के बेहतर रहने की उम्मीद है, और ग्रामीण मांग जल्द ही तेजी पकड़ सकती है, जिससे पुनरुद्धार को मजबूती मिलेगी।
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