नयी दिल्ली, 10 जनवरी फिल्म निर्माता-निर्देशक राम गोपाल वर्मा का कहना है कि उनकी 1998 की फिल्म ‘सत्या’ बहुत सोच समझ कर नहीं बल्कि ईमानदारी से बनाई गई थी और यह फिल्म उन निर्माताओं के लिए एक सबक होनी चाहिए, जो बड़े बजट और बड़े सितारों के साथ फिल्म बनाने की होड़ में हैं।
‘सत्या’ एक गैंगस्टर ड्रामा है, जिसे अब भी उसकी कलात्मकता के लिए सिनेमा के शौकीन सराहते हैं। यह फिल्म 17 जनवरी को सिनेमाघरों में फिर से रिलीज़ होने वाली है। सौरभ शुक्ला और अनुराग कश्यप द्वारा लिखित इस फिल्म में जे डी चक्रवर्ती द्वारा निभाये गये मुख्य किरदार की नज़र से अपराध की दुनिया पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
वर्मा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक लंबे पोस्ट में कहा कि बिना किसी बड़े कलाकार या बजट के, ‘सत्या’ ने अपना संदेश दिया और यह हिंदी फिल्म उद्योग के सभी कहानीकारों के लिए ‘आंख खोलने वाली’ रचना होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि ‘सत्या’ चतुराई से नहीं बल्कि ईमानदार प्रवृत्ति से बनाई गई थी और इसे जो दर्जा मिला है, वह वर्तमान और भविष्य के सभी फिल्म निर्माताओं के लिए एक सबक होना चाहिए, जिसमें हम, इसके मूल निर्माता भी शामिल हैं।
वर्मा (62) ने कहा ‘‘जब पूरा उद्योग भारी बजट, महंगे वीएफएक्स, विशाल सेट और सुपर स्टार के पीछे दौड़ रहा है, तो ऐसे में हम सभी के लिए ‘सत्या’ पर फिर से गौर करना और गहराई से सोचना समझदारी होगी कि यह उपरोक्त वर्णित आवश्यकताओं के बिना इतनी बड़ी ब्लॉकबस्टर कैसे बन गई... यही ‘सत्या’ के लिए सही सोच होगी।’’
उन्होंने कहा कि जब उन्होंने फिल्म बनाने का फैसला किया, तो टीम को ‘‘विषय वस्तु पर वास्तविक सहज ज्ञान के अलावा इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि हम क्या बना रहे थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम में से हर एक को एक-दूसरे की प्रतिभा का एहसास तभी हुआ जब फिल्म हिट हो गई और फिर दूसरों से अपनी प्रतिभा की प्रशंसा सुनने को मिली।’
वर्मा ने 2023 में 25 साल पूरे करने वाली फिल्म के बारे में कहा कि सत्या (चक्रवर्ती), भीकू म्हात्रे (मनोज बाजपेयी) और कल्लू मामा (शुक्ला) के बेहतरीन किरदारों को असल जिंदगी के किरदारों से उठाया गया था।
उन्होंने कहा कि 'सत्या' ने साबित कर दिया कि बेहतरीन फिल्में सोच कर नहीं बनाई जा सकतीं, बल्कि वे खुद ही बन जाती हैं।
उन्होंने कहा ‘‘फिल्म में शामिल हममें से कोई भी 'सत्या' का जादू फिर से नहीं दोहरा सका, यह मेरी उपरोक्त बात को साबित करता है। संक्षेप में कहूं तो हमने 'सत्या' नहीं बनाई, 'सत्या' ने हमें बनाया।’’
उन्होंने कहा कि उन्हें फिल्म की बॉक्स ऑफिस संभावनाओं के बारे में एक भी बातचीत याद नहीं है, हालांकि वे चाहते थे कि यह कामयाब हो।
उन्होंने कहा कि टीम के पास कोई स्क्रिप्ट नहीं थी लेकिन वे हर दिन जो शूट कर रहे थे, उसके प्रति ईमानदार रहे।
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