देश की खबरें | राजद्रोह मामले में शरजील इमाम को जमानत न देने का कोई उचित कारण नहीं था: दिल्ली उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, 10 जून दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि 2020 के सांप्रदायिक दंगों से जुड़े राजद्रोह और गैरकानूनी गतिविधियों के एक मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम को जमानत नहीं देने का कोई "उचित कारण" नहीं था।

अदालत ने कहा कि अधीनस्थ न्यायालय ने "आरोपों की व्यापकता से प्रभावित" होकर उसे राहत देने से इनकार कर दिया था।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने गिरफ्तारी के चार साल से अधिक समय बाद 29 मई को इमाम को जमानत दी थी।

हाल में अपलोड किए गए पीठ के आदेश में कहा गया है कि आरोपों के गंभीर होने मात्र से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436-ए के तहत जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता।

आदेश में कहा गया है, “इस मामले में हमें कोई उचित कारण नहीं मिला, जिसके कारण न्यायालय को राहत न देने के लिए बाध्य होना पड़ा।"

पीठ ने कहा, "अधीनस्थ न्यायालय ने आरोपों की व्यापकता को देखते हुए यह पाया कि उन्होंने भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसके कारण दंगे हुए, इसलिए जमानत देने से इनकार कर दिया गया।"

पीठ में न्यायमूर्ति मनोज जैन भी शामिल थे।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, इमाम ने 13 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया और 16 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण दिए, जहां उसने असम और शेष पूर्वोत्तर को देश से काटने की धमकी दी थी।

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