देश की खबरें | ऑनलाइन परीक्षा का मकसद कोरोना के मद्देनजर छात्रों को एकत्र होने से रोकना : डीयू
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, पांच अगस्त दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा (ओबीई) आयोजित करने का मकसद कोरोना वायरस महामारी के दौरान छात्रों को एक हॉल में इकट्ठा होने से रोकना था क्योंकि वहां सामाजिक दूरी का पालन करना मुश्किल होता।

विश्वविद्यालय के वकील ने न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह से कहा कि ओबीई पर अधिसूचना को वापस लेने संबंधी याचिका विचार लायक नहीं है क्योंकि इसी अदालत की खंडपीठ ओबीई को शुरू करने की अनुमति दिए जाने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही है।

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विश्वविद्यालय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सचिन दत्ता ने कहा, ‘‘ ऐसा लगता है कि दलील यह है कि ओबीई नहीं होना चाहिए… ओबीई के पीछे का विचार छात्रों को एक हॉल में इकट्ठा होने से रोकना था क्योंकि महामारी के दौरान सामाजिक दूरी बनाए रखना मुश्किल होगा। इस संबंध में विस्तृत विचार-विमर्श किया गया था।’’

अदालत ने डीयू, यूजीसी, याचिकाकर्ता छात्रों और अन्य पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अपनी फैसला सुरक्षित रख लिया। इस याचिका में स्नातक अंतिम वर्ष के लिए ओबीई आयोजित करने के फैसले को चुनौती दी गयी है।

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दत्ता ने कहा कि ऑनलाइन ओबीई में शामिल होने के लिए किसी छात्र को बहुत उच्च तकनीक की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसके लिए एक ईमेल पर्याप्त होगा।

विश्वविद्यालय की ओर से ही पेश वकील मोहिंदर रूपल ने कहा कि अधिकारियों ने फैसला करने से पहले विभिन्न पक्षों से सुझाव मांगे थे।

दत्ता ने कहा, ‘‘डीयू के संबंध में याचिका में कुछ भी नहीं बचा है। खंडपीठ ने विश्वविद्यालय को आगे बढ़ने की अनुमति दी, तैयारियों की समीक्षा की और विस्तृत आदेश पारित किया।’’

उन्होंने कहा कि इस ऑनलाइन तरीके में सुरक्षा उपायों को शामिल किया गया है और उन छात्रों के लिए बाद में जल्द ही परीक्षा आयोजित की जाएगी जो ऑनलाइन ओबीई में शामिल नहीं सकेंगे।

उन्होंने कहा कि इससे छात्रों को अपना करियर बनाने में मदद मिलेगी और परिणाम कम से कम समय में घोषित कर दिए जाएंगे।

सुनवाई में कई छात्रों ने भी भाग लिया और इस दौरान एक ऑडियो चालू कर दिया गया और जिसकी पृष्ठभूमि में संगीत बज रहा था।

अदालत ने कहा, ‘‘ "मुझे नहीं पता कि वे किस बात का जश्न मना रहे हैं। "

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