
नयी दिल्ली, नौ मई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को दावा किया कि उसने धनशोधन के एक मामले में इस सप्ताह की शुरूआत में छापेमारी के दौरान तमिलनाडु सरकार के प्रमुख विभागों के कई सलाहकारों से जुड़े एक प्रणालीगत ‘‘भ्रष्टाचार’’ नेटवर्क का पता लगाया है।
संघीय जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि उसने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत छह मई को चेन्नई और वेल्लोर में की गई छापेमारी के दौरान 4.73 करोड़ रुपये की ‘‘बेहिसाब’’ नकदी भी जब्त की, जो ‘‘रिश्वत’’ के भुगतान के लिए थी।
यह जांच तमिलनाडु सतर्कता भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) द्वारा पर्यावरण विभाग के अधीक्षक एस पांडियन और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में दर्ज प्राथमिकी से संबंधित है।
इसने कहा कि ईडी ने कुल 16 परिसरों की तलाशी ली, जिनमें उपरोक्त अधिकारी और तमिलनाडु सरकार के विभागों के विभिन्न ‘‘प्रमुख’’ सलाहकारों के परिसर शामिल थे।
बयान में कहा गया है, ‘‘छापेमारी में गहरी जड़ें जमाए हुए और प्रणालीगत भ्रष्टाचार नेटवर्क का पता चला, जिसमें प्रमुख सरकारी विभागों के कई प्रमुख सलाहकार शामिल थे।’’
ईडी ने आरोप लगाया, ‘‘साक्ष्यों से पता चलता है कि सलाहकारों/ब्रोकर ने बिचौलियों की तरह काम किया, फर्जी कंपनियां और फर्म बनाईं, जिनके जरिए सेवा शुल्क और भुगतान की आड़ में रिश्वत दी गई।’’
बयान में कहा गया है कि जांच में प्रभाकर सिगमोनी, ए के नाथन, नवीन कुमार, संतोष कुमार और विनोद कुमार नामक प्रमुख सलाहकारों की ‘‘अवैध’’ मंजूरी दिलाने में भूमिका की ‘‘पुष्टि’’ हुई है।
इसमें कहा गया है कि साक्ष्य नष्ट करने और सहयोग नहीं करने के लिए एक महत्वपूर्ण कर्मी के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
ईडी ने कहा कि उसने छापेमारी के दौरान दस्तावेज, डिजिटल रिकॉर्ड और संपत्ति के दस्तावेज भी बरामद किए हैं, जो बड़े पैमाने पर धनराशि के गबन का संकेत देते हैं।
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