नयी दिल्ली, एक फरवरी केंद्र सरकार व्यय और आय के बीच का अंतर को पाटने के लिए अगले वित्त वर्ष में दिनांकित प्रतिभूतियों से रिकॉर्ड 15.4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेने की योजना बना रही है।
यह 31 मार्च, 2023 को खत्म हो रहे चालू वित्त वर्ष में लिए गए कुल कर्ज 14.21 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को लोकसभा में आम बजट पेश करते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के राजकोषीय घाटे को पाटने के लिए दिनांकित प्रतिभूतियों से शुद्ध बाजार कर्ज 11.8 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा, ‘‘शेष वित्तपोषण छोटी बचतों और अन्य स्रोतों से आने की उम्मीद है। कुल बाजार कर्ज 15.4 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।’’
सरकार ने 27 जनवरी तक 12.93 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं जो वित्त वर्ष 2022-23 के लिए कुल कर्ज लक्ष्य 14.21 लाख करोड़ का 91 प्रतिशत है।
केंद्र और राज्यों पर संयुक्त रूप से कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 83 प्रतिशत के बराबर है।
वित्त मंत्री ने सब्सिडी बिल में वृद्धि के बावजूद राजकोषीय घाटा लक्ष्य 6.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
उन्होंने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2023-24 में कर्ज के अलावा कुल आय 27.2 लाख करोड़ रुपये और कुल व्यय 45 लाख करोड़ रुपये है। कुल कर प्राप्तियां 23.3 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।’’
उन्होंने अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 5.9 प्रतिशत रखा है।
वित्त मंत्री सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए दिनांकित प्रतिभूतियों से सकल कर्ज 14,95,000 करोड़ आंका था। हालांकि सरकार ने पिछले साल सितंबर में सकल कर्ज को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए घटाकर 14.21 लाख करोड़ करने की घोषणा कर दी थी। 2021-22 के लिए सकल कर्ज 12,05,500 करोड़ रुपये था।
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