नयी दिल्ली, सात मई दिल्ली की एक अदालत 10 मई को इस पर अपना आदेश सुना सकती है कि भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ छह महिला पहलवानों द्वारा दर्ज कराए गए यौन उत्पीड़न के मामले में आरोप तय किया जाए या नहीं।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) प्रियंका राजपूत मंगलवार को एक आदेश पारित करने वाली थीं लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इसे टाल दिया दिया कि आदेश में कुछ सुधार की आवश्यकता है।
न्यायाधीश ने पहले सिंह द्वारा दायर एक आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसमें आरोपों पर आगे की दलीलें देने और आगे की जांच के लिए समय मांगा गया था।
सिंह ने दावा किया था कि वह एक घटना की तारीख पर भारत में नहीं थे, जिसमें एक शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसे डब्ल्यूएफआई कार्यालय में प्रताड़ित किया गया था।
सिंह के वकील ने दावा किया था कि दिल्ली पुलिस ने उस कोच के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) पर भरोसा किया था जो शिकायतकर्ता के साथ गया था और कहा था कि वे 7 सितंबर, 2022 को डब्ल्यूएफआई गए थे, जहां उसके (शिकायतकर्ता) साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ की गई थी।
वकील ने दावा किया था कि हालांकि, पुलिस ने सीडीआर रिकॉर्ड पर नहीं रखा है।
वकील ने साथ ही दावा किया था कि जिस दिन अपराध का आरोप लगाया गया है उस दिन सिंह देश में नहीं थे।
दिल्ली पुलिस ने छह बार के सांसद सिंह के खिलाफ मामले में 15 जून को भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 354 ए, 354 डी और धारा 506 के तहत आरोप पत्र दायर किया था। पुलिस ने इस मामले में डब्ल्यूएफआई के निलंबित सहायक सचिव विनोद तोमर पर भी आरोप लगाया है।
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