केरल में मनुष्य और आवारा कुत्तों का संघर्ष बढ़ा, कुत्ते को फंदे से लटका कर मारने का मामला सामने आया
डॉग (Photo Credits: Pixabay)

तिरुवनंतपुरम, 16 सितंबर : केरल के कोट्टायम जिले में हाल में एक कुत्ते को फंदे से लटका कर मारने का मामला सामने आया है जो कई लोगों को काट चुका था. केरल में हाल के दिनों में बच्चों समेत अनेक लोगों पर कुत्तों के हमले के मामले बढ़े हैं. कुत्ते को मारने की यह एकमात्र घटना नहीं है, क्योंकि राज्य के कुछ इलाकों में कथित तौर पर जहर के कारण एक दर्जन से अधिक आवारा कुत्ते मृत पाए गए थे. ये कार्य अमानवीय प्रतीत होते हैं, जबकि कुछ का मानना है कि राज्य में मौजूदा स्थिति में जिस तरह से कुत्तों के हमलों में वृद्धि देखी जा रही है, लोगों को मामलों को अपने हाथों में लेने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है.

कोझिकोड की महापौर बीना फिलिप, जिन्होंने आवारा कुत्तों को सामूहिक रूप से मारे जाने का विरोध किया था, को राज्य में मौजूदा स्थिति को देखते हुए बाद में अपना रुख बदलना पड़ा. उन्होंने कहा कि लोगों को उनके कार्यों के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है उन्होंने एक टीवी चैनल से कहा, ‘‘जब हमारे अपने बच्चों पर कुत्ते इस तरह से हमला कर रहे हैं और लोग इसकी प्रतिक्रिया में ऐसा बर्ताव कर रहे हैं तो उन्हें दोष नहीं दिया जा सकता है. मैं कुत्तों को मारने के पक्ष में नहीं हूं और न ही इसे सही ठहराऊंगी. लेकिन मौजूदा स्थिति में मैं लोगों को दोष नहीं दे सकती.’’ उन्होंने कहा कि अगर कुत्तों के काटने के इतने मामले नहीं होते, तो शायद अधिक मानवीय दृष्टिकोण पर विचार किया जा सकता था. यह भी पढ़ें : ‘ब्रह्मास्त्र पार्ट वन: शिवा’ ने दुनियाभर में पहले सप्ताह में कमाए 300 करोड़ रुपये

हालांकि, पिछले साल जब कुत्ते के काटने की इतनी खबरें नहीं थीं, तब तिरुवनंतपुरम के आदिमलाथुरा समुद्र तट पर एक कुत्ते को बेरहमी से पीट-पीट कर मारने का मामला आया था और एर्नाकुलम के त्रिक्काकारा नगर पालिका क्षेत्र में सैकड़ों कुत्तों को जहर देकर मार डाला गया था. केरल उच्च न्यायालय ने तब हस्तक्षेप करते हुए पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) उपायों के उचित क्रियान्वयन और कुत्तों के टीकाकरण के लिए दिशा-निर्देश जारी करने के लिए कहा था. राज्य की पशुपालन मंत्री जे चिंचू रानी ने कहा, ‘‘हमारी योजना 2025 तक राज्य में कुत्तों की आबादी को नियंत्रण में लाने की है.’’ उन्होंने यह भी कहा कि पागल कुत्तों को मारने की अनुमति नहीं है क्योंकि भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के दिशानिर्देशों के अनुसार, उन्हें बीमारी के लक्षण दिखने के 10 दिनों के भीतर स्वत: प्राण त्यागने तक बांधकर रखा जाना चाहिए. साल 2001 में दया पशु कल्याण संगठन शुरू करने वाली अंबिली पुरक्कल और इडुक्की की ‘पशु क्रूरता रोकथाम सोसाइटी’ (एसपीसीए) के सचिव एम. एन. जयचंद्रन ने कहा कि कुत्तों को मारना विकल्प नहीं है क्योंकि उनमें से कुछ ही इंसानों को काटते हैं.