
नयी दिल्ली, 18 फरवरी कतर की एक अदालत में विचाराधीन मामले के कारण पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी पूर्णेंदु तिवारी की वापसी में देरी हो रही है, जिन्हें पिछले साल उनके सात साथियों के साथ मौत की सजा के आरोपों से मुक्त कर दिया गया था।
पिछले साल कतर की अदालत ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को रिहा कर दिया था, जिन्हें कुछ आरोपों को लेकर मौत की सजा सुनाई गई थी। उनमें से सात पिछले साल फरवरी में भारत लौट आए, जबकि तिवारी अभी कतर में ही हैं।
विदेश मंत्रालय के सचिव अरुण कुमार चटर्जी ने तिवारी के मामले के बारे में पूछे जाने पर यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘उनका मामला अभी कतर की एक स्थानीय अदालत में विचाराधीन है।’’
सूत्रों ने कहा कि विचाराधीन मामला किसी अन्य मामले से संबंधित है और उस मामले से जुड़ा नहीं है जिसमें तिवारी को मौत की सजा सुनाई गई थी।
हालांकि, यह मुद्दा मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्माद अल-सानी के बीच हुई वार्ता में नहीं उठा। कतर के अमीर भारत की राजकीय यात्रा पर हैं।
कतर की विभिन्न जेलों में लगभग 600 भारतीय नागरिक बंद हैं। 2024 में, लगभग 85 भारतीयों को क्षमादान दिया गया था।
नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों की समस्या अगस्त 2022 में शुरू हुई, जब कतर के अधिकारियों ने उन्हें गिरफ्तार किया।
कतर सरकार को रक्षा और सुरक्षा से संबंधित वस्तुओं की आपूर्ति करने वाली कंपनी दहरा ग्लोबल में कार्यरत अधिकारियों के खिलाफ सटीक आरोपों का कभी खुलासा नहीं किया गया।
अक्टूबर 2023 में इन लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी। भारत ने इस कदम को स्तब्ध करने वाला बताया था। उसने सजा पर पुनर्विचार की अपील की थी।
कतर ने इन लोगों को राजनयिक पहुंच प्रदान की और दिसंबर 2023 में, मौत की सजा को अलग-अलग समय अवधि के कारावास में बदल दिया गया।
पूर्व नौसेना कर्मी - कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुणाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश पिछले साल फरवरी में मोदी के कतर दौरे से कुछ दिन पहले भारत लौट आए थे।
आठवें व्यक्ति, कमांडर तिवारी, अभी दोहा में ही हैं।
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