नयी दिल्ली, 29 जुलाई कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार के ‘कुप्रबंधन’ के चलते देश के बैकिंग और वित्तीय क्षेत्र नष्ट हो गए।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री ने आज भारत के बैंकिंग क्षेत्र के सीईओ एवं कार्यकारियों के साथ बैठक की। हम आशा करते हैं कि उनमें प्रधानमंत्री को यह बताने का साहस रहा होगा कि उनकी सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र और वित्तीय संस्थाओं को बर्बाद कर दिया है।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘ अगर इन्होंने प्रधानमंत्री के सामने चुप्पी साध ली तो भी पिछले एक सप्ताह में तीन ऐसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुए जो भारतीय वित्तीय व्यवस्था एवं बैंकिंग क्षेत्र की दयनीय स्थिति को दर्शाते हैं।’’
कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘पहला घटनाक्रम यह था कि जब भारतीय रिजर्व बैंक ने जुलाई, 2020 की वित्तीय स्थिरिता रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि बैकिंग क्षेत्र के डूबे हुए कर्ज 20 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दूसरा घटनाक्रम यह था कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने खुलासा किया कि आरबीआई कर्ज की अदायगी नहीं करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहता था, जबकि मोदी सरकार नरम रुख अपनाना चाहती है, ऐसे में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।’’
सुरजेवाला के अनुसार, तीसरा घटनाक्रम यह है कि रिजर्व बैंक के उप गवर्नर विरल आचार्य ने कहा है कि सरकार के ‘कुप्रबंधन’ ने पूरे वित्तीय क्षेत्र को अस्थिर कर दिया है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मोदी सरकार के तहत भारत के वित्तीय क्षेत्र नष्ट हो गया।’’
कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘ मार्च, 2013-14 में एनपीए 2,16,739 करोड़ रु. के बराबर था, जो सितंबर, 2019 में बढ़कर 9,35,000 करोड़ रुपये हो गया।
आरबीआई की जुलाई, 2020 की ‘‘वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट’’ के मुताबिक बैंकिंग सिस्टम में डूबे ऋण बढ़कर 20 साल में सबसे ज्यादा 14.7 प्रतिशत तक पहुंच सकते हैं।’’
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