बुधवार को कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है. प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से फैसलों की जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दी. उन्होंने कहा कि प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई. उन्होंने बताया कि 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था, इसलिए यह बेहद महत्वपूर्ण है. जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर हाई शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किये गए हैं, वहीं इस फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, मैं तहे दिल से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का स्वागत करता हूँ! शिक्षा क्षेत्र में एक लंबे समय से इस सुधार का इंतजार था, जो आने वाले समय में लाखों लोगों का जीवन बदलेगा.
बता दें कि इससे पहले शिक्षा नीति को 1986 में तैयार किया गया और 1992 में संशोधित किया गया था. नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं. इसमें लॉ और मेडिकल शिक्षा को छोड़कर हाई शिक्षा के लिये सिंगल रेगुलेटर रहेगा.। इसके अलावा उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी सकल नामांकन दर पहुंचने का लक्ष्य है. नई नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट (बहु स्तरीय प्रवेश एवं निकासी) व्यवस्था लागू किया गया है. खरे ने बताया कि आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरंग पढ़ने या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में 1 साल के बाद सर्टिफिकेट, 2 साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी.
ANI का ट्वीट:-
I wholeheartedly welcome the approval of the National Education Policy 2020! This was a long due and much-awaited reform in the education sector, which will transform millions of lives in the times to come: Prime Minister Narendra Modi (file pic) https://t.co/izpqHcoWJa pic.twitter.com/YJSN7pFFZ0
— ANI (@ANI) July 29, 2020
वहीं, जो छात्र रिसर्च में जाना चाहते हैं उनके लिए 4 साल का डिग्री प्रोग्राम होगा, जबकि जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे. नयी व्यवस्था में एमए और डिग्री प्रोग्राम के बाद एफफिल करने से छूट की भी एक व्यवस्था की गई है. ( भाषा इनपुट)