देश की खबरें | ठाणे की अदालत ने महिला से क्रूरता करने वाले पांच आरोपियों को बरी किया

ठाणे, 27 अक्टूबर महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने एक महिला के साथ क्रूरता करने और उसका गर्भपात कराने का प्रयास करने वाले पांच आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि आरोपपत्र में उनके खिलाफ सबूतों का अभाव है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वसुधा एल भोसले ने 22 अक्टूबर को अपने आदेश में कहा कि बिना सबूत के आरोपपत्र दाखिल करने से लंबित मामलों की संख्या बढ़ जाती है और अदालत का समय बर्बाद होता है, जो उसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामलों के लिए देना चाहिए।

इसमें कहा गया, ‘‘बिना सबूत के आरोपपत्र दाखिल करने से अदालतों का काम बढ़ गया है। इस प्रथा को रोकने की जरूरत है। इसलिए, उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार, जांच शुरू करने की जरूरत है।’’

अदालत ने शाहरुम फकरे आलम शेख (42), फकरे आलम जैतूल आबदीन शेख (64), नफीसा फकरे अल-एन शेख (59), मरीम फकरे (37) और आलिया फकरे आलम शेख (37) को बरी कर दिया है।

अभियोजक ने अदालत को बताया कि पीड़िता नजारा की 2012 में आरोपी शाहरिम से जान-पहचान हुई और उनके बीच संबंध बन गए जिसके कारण वह गर्भवती हो गई।

आरोपी ने उसे गर्भपात कराने का सुझाव दिया और उसे दो अस्पतालों में लेकर गया, जहां चिकित्सा कर्मचारियों ने गर्भधारण को काफी समय हो गया है, इसलिए गर्भपात नहीं कराया जा सकता है।

अभियोजन पक्ष ने बताया कि पीड़िता के भाई ने 19 सितम्बर, 2013 को दंपती को घर बुलाया और उनसे शादी करने के लिए कहा जिसके बाद दोनों ने उसी दिन शादी कर ली।

महिला ने आरोप लगाया कि उसके ससुराल वालों ने उसे मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान और प्रताड़ित किया।

अभियोजन पक्ष ने बताया कि पीड़िता ने जनवरी 2014 में एक लड़की को जन्म दिया, लेकिन तब भी उसको परेशान किया जाता रहा।

अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि पीड़िता के पति या ससुराल वालों ने उसके साथ क्रूरता की।

अदालत ने कहा कि ससुराल वालों ने कोई गैरकानूनी मांग नहीं की थी और महिला द्वारा दिए गए साक्ष्य के दौरान किसी भी गैरकानूनी मांग के लिए की गई यातना का कोई सबूत भी नहीं मिला।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)