Telangana By Election 2022: Munugode उपचुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद, KCR की राष्ट्रीय आकांक्षाओं का भविष्य होगा तय
तेलंगाना में तीन नवंबर को मुनूगोडे विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के नतीजे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राज्य की राजनीति के भविष्य पर असर डाल सकते हैं। इस उपचुनाव में 2.41 लाख से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।
हैदराबाद, एक नवंबर तेलंगाना में तीन नवंबर को मुनूगोडे विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के नतीजे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राज्य की राजनीति के भविष्य पर असर डाल सकते हैं। इस उपचुनाव में 2.41 लाख से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।
नलगोंडा जिले में इस पिछड़े निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव राज्य में तीनों प्रमुख दलों सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के लिए अहम है।
हाल में अपना नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) करने वाली टीआरएस का उद्देश्य यहां बड़ी जीत के साथ राज्य की राजनीति में अपने दबदबे को दिखाना और राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ना है।
के. चंद्रशेखर राव की अगुवाई वाली पार्टी इस जीत से राष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश देना चाहेगी कि वह भाजपा का मुकाबला कर सकती है और उससे जीत सकती है।
लेकिन उपचुनाव में हार से न केवल उसकी राष्ट्रीय आकांक्षाओं को झटका लगेगा बल्कि विधानसभा चुनावों के मद्देनजर विपक्ष को भी बढ़ावा मिलेगा।
इस बीच, भाजपा को मुनूगोडे में जीत से टीआरएस के विकल्प के तौर पर उभरने की योजना में बल मिलने की उम्मीद है। पिछले दो वर्ष में दुब्बक और हुजुराबाद विधानसभा उपचुनावों तथा वृहद हैदरबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनावों में जीत से पार्टी का मनोबल ऊंचा है।
अगर वह टीआरएस के बाद दूसरे नंबर पर भी रहती है तो भी वह मुख्य विपक्षी दल होने का दावा कर सकती है।
वहीं, कांग्रेस के लिए 2014 और 2018 के विधानसभा चुनावों और उसके बाद उपचुनावों में बेहद खराब प्रदर्शन के बाद यह एक तरह से ‘करो या मरो’ का मुकाबला है। अगर कांग्रेस हार जाती है तो यह उसके लिए दोहरी मार होगी क्योंकि मुनूगोडे में अभी उसका विधायक है।
मुकाबले में वाम दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी भी शामिल हैं और उन्होंने टीआरएस को समर्थन देने की घोषणा की है।
मुख्य रूप से ग्रामीण आबादी वाले मुनूगोडे विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुल 2.41 लाख मतदाता हैं जिनमें से 1,21,720 पुरुष और 1,20,128 महिलाएं हैं। 60 फीसदी से अधिक मतदाता पिछड़े वर्गों के बताए जाते हैं।
उपचुनाव में 47 उम्मीदवार मैदान में है लेकिन मुख्य मुकाबला राजगोपाल रेड्डी, टीआरएस के विधायक कुसुकुंतला प्रभाकर रेड्डी और कांग्रेस की पी श्रवंती के बीच दिखने की उम्मीद है। राजगोपाल रेड्डी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं और उसके टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
राजगोपाल रेड्डी की लोकप्रियता पर भरोसा करते हुए भाजपा ने केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी, पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष तथा सांसद बंदी संजय कुमार, पार्टी विधायक इटाला राजेंद्र और एम रघुनंदन राव समेत अन्य नेताओं को प्रचार अभियान की जिम्मेदार सौंपी है।
वहीं, टीआरएस ने भी चुनाव प्रचार के लिए अपने विधायकों और अन्य नेताओं की फौज तैनात कर दी है।
कांग्रेस प्रत्याशी पी श्रवंती अपने दिवंगत पिता पी गोवर्धन रेड्डी की अच्छी छवि को भुनाने की कोशिश कर रही हैं जो मुनूगोडे से विधायक तथा सांसद रह चुके हैं।
कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष और सांसद ए रेवंत रेड्डी तथा अन्य नेता श्रवंती की जीत के लिए प्रचार कर रहे हैं।
नलगोंडा जिला कांग्रेस का गढ़ रहा है और पार्टी ने 2019 के आम चुनावों में जिले की दो लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी।
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