मेकेदातु परियोजना पर तमिलनाडु सरकार का प्रधानमंत्री को पत्र "राजनीतिक स्टंट": मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने तमिलनाडु सरकार द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र को मंगलवार को ''राजनीतिक स्टंट'' करार दिया. पत्र में कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) को 17 जून को अपनी बैठक में मेकेदातु परियोजना पर चर्चा करने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की गयी है.
बेंगलुरू, 14 जून : कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) ने तमिलनाडु सरकार द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र को मंगलवार को ''राजनीतिक स्टंट'' करार दिया. पत्र में कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) को 17 जून को अपनी बैठक में मेकेदातु परियोजना पर चर्चा करने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की गयी है. बोम्मई ने इसे ''अवैध'' और ''संघीय व्यवस्था के खिलाफ'' बताते हुए कहा कि पड़ोसी राज्य की मांग का कोई ''आधार'' नहीं है और केंद्र इस पर विचार नहीं करेगा. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने सोमवार को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में सीडब्ल्यूएमए को अपनी बैठक में कर्नाटक के मेकेदातु परियोजना प्रस्ताव पर चर्चा करने से रोकने की मांग की. स्टालिन ने पत्र में कहा कि सीडब्ल्यूएमए के कामकाज का दायरा कावेरी मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करने तक सीमित है. यह किसी अन्य मामले पर विचार नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही यह मामला अभी विचाराधीन है और इस संबंध में तमिलनाडु की याचिकाएं उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित हैं.
बोम्मई ने कहा, ''मेकेदातु परियोजना के संबंध में केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने हमारी डीपीआर प्राप्त करते हुए एक शर्त रखी थी कि इसे कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित किया जाना है और तदनुसार यह सीडब्ल्यूएमए बोर्ड के समक्ष है और कईं बैठकें हो चुकी हैं.'उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि जब प्राधिकरण मामले को ‘अंतिम रूप’ देने वाला है तो पड़ोसी राज्य तमिलनाडु नये मुद्दे खड़े कर रहा है. उन्होंने कहा, ''मुझे तमिलनाडु सरकार द्वारा प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखे जाने की जानकारी मिली है, मेरे पास इसकी एक प्रति है. उनकी (तमिलनाडु की) मांग अवैध है, संघीय व्यवस्था के खिलाफ है और यह उस पानी के दुरुपयोग की साजिश है जिस पर हमारा अधिकार है.'' स्टालिन ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री से जल शक्ति मंत्रालय को निर्देश देने का अनुरोध किया था कि सीडबब्ल्यूएमए के अध्यक्ष को मेकेदातु परियोजना पर उस समय तक कोई भी चर्चा करने से रोकने की सलाह दी जाए, जब तक कि उच्चतम न्यायालय द्वारा मुद्दों की सुनवाई पूरी कर कोई निर्णय नहीं लिया जाता. यह भी पढ़ें : गृह मंत्रालय ने रिक्तियों को ‘मिशन मोड’ में भरने के लिए कदम उठाने शुरू किये
बोम्मई ने कहा कि मेकेदातु परियोजना में किसी भी तरह से तमिलनाडु के हिस्से का पानी शामिल नहीं है और "यह हमारे राज्य के भीतर के पानी के हिस्से पर है." मेकेदातु कर्नाटक द्वारा प्रस्तावित एक बहुउद्देश्यीय (पीने का पानी और बिजली) परियोजना है जिसमें रामनगर जिले में कनकपुरा के पास एक जलाशय का निर्माण शामिल है. पड़ोसी तमिलनाडु इस परियोजना का विरोध कर रहा है और आशंका जता रहा है कि अगर यह परियोजना पूरी हो जाती है तो राज्य प्रभावित होगा. परियोजना का उद्देश्य बेंगलुरु और पड़ोसी क्षेत्रों में पेयजल सुनिश्चित करना तथा 400 मेगावाट बिजली पैदा करना है. इस परियोजना की अनुमानित लागत 9,000 करोड़ रुपये है.