नयी दिल्ली, 25 फरवरी : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लॉवरोव और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से अलग अलग बातचीत की और इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन संकट के समाधान के लिये बातचीत और कूटनीति सबसे अच्छा रास्ता है. रूस द्वारा यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू करने की व्यापक स्तर पर निंदा हुई है और इस संघर्ष के फैलने की आशंका व्यक्त की जा रही है. ऐसे में तनाव कम करने के वैश्विक प्रयासों में भारत सभी संबद्ध पक्षों के साथ सम्पर्क में है. लॉवरोव के साथ बातचीत के दौरान जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री को बताया कि संकट के समाधान के लिये ‘बातचीत और कूटनीति’ ही सर्वश्रेष्ठ रास्ता है. विदेश मंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘ यूक्रेन के घटनाक्रम को लेकर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लॉवरोव से बात की . इस बात को रेखांकित किया कि बातचीत और कूटनीति सर्वश्रेष्ठ रास्ता है. ’’ समझा जाता है कि जयशंकर ने लॉवरोव को बताया कि यूक्रेन में करीब 16 हजार भारतीयों को सुरक्षित निकालना भारत के लिये महत्वपूर्ण विषय है.
विदेश मंत्री जयशंकर ने यूक्रेन में चल रहे घटनाक्रम को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ हुई बातचीत के बारे में भी बताया . जयशंकर ने बृहस्पतिवार की रात एक ट्वीट में कहा कि ब्लिंकन के साथ यूक्रेन में चल रहे घटनाक्रम और उसके प्रभावों पर चर्चा हुई. उन्होंने कहा, ‘‘ ब्लिंकन से फोन पर हुई बातचीत की सराहना करता हूं. यूक्रेन में चल रहे घटनाक्रम और इसके प्रभावों पर चर्चा की." वहीं, अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि ब्लिंकन ने जयशंकर से रूस द्वारा यूक्रेन पर बिना सोचे-समझे, बिना उकसावे के और अनुचित हमला किए जाने के बारे में चर्चा की . उसने कहा, ‘‘ विदेश मंत्री ब्लिंकन ने रूसी हमले के खिलाफ कड़ी सामूहिक प्रतिक्रिया के महत्व को रेखांकित किया और उससे (रूस से) तत्काल पीछे हटने एवं संघर्षविराम का आह्वान किया.’’ इससे पहले जयशंकर ने बृहस्पतिवार को यूक्रेन में उभरती स्थिति पर यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के उच्च प्रतिनिधि जोसेप बोरेल और ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज़ ट्रूस से भी बात की. मंत्री ने ट्वीट में बताया था, "ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज़ ट्रूस के साथ टेलीफोन पर चर्चा हुई. यूक्रेन की स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान किया." जयशंकर ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने को लेकर रोमानिया, हंगरी और स्लोवाकिया के अपने समकक्षों से बृहस्पतिवार रात बात की थी. यह भी पढ़ें : Russia-Ukraine War: दिल्ली में रूसी दूतावास के बाहर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई
यूक्रेन ने रूसी सैन्य हमले के बाद अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है, जिसके बाद भारत रोमानिया, हंगरी, स्लोवाक गणराज्य और पोलैंड की थल सीमा के माध्यम से यूक्रेन से लगभग 16,000 भारतीयों को निकालने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
जयशंकर ने बृहस्पतिवार रात ट्वीट कर बताया, ‘‘यूक्रेन से भारतीयों को निकालने में रोमानिया के विदेश मंत्री बोगदान ओरेस्कु के सहयोग की बहुत सराहना करता हूं. भारतीय विदेश मंत्रालय सीमा पार करके लोगों की जल्द निकासी सुनिश्चित करने के लिए रोमानिया के विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है. मित्र मुश्किल समय में साथ देने के लिए ही होते हैं.’’ उन्होंने कहा कि हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सिजार्तो ने भी भारतीयों को यूक्रेन से बाहर निकालने में पूरा सहयोग देने का वादा किया. उन्होंने इस मामले में मदद करने की इच्छा जताने को लेकर स्लोवाकिया के विदेश मंत्री इवान कोरसोक की भी प्रशंसा की. वहीं, यूक्रेन में बड़े पैमाने पर रूसी हमले के कुछ घंटे बाद भारत ने प्रमुख पक्षों के बीच बातचीत की जरूरत को बृहस्पतिवार को रेखांकित किया और कहा कि इस वार्ता को संभव बनाने में मदद करके उसे खुशी होगी.
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि भारत अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ समेत सभी संबंधित पक्षों के ‘‘निकट संपर्क’’ में है. यूक्रेन संकट पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मसौदा प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर श्रृंगला ने कहा, ‘‘मुझे बताया गया है कि इसमें काफी बदलाव होगा. हम इस पर अपना रुख रखने से पहले इसके आकार लेने का इंतजार करेंगे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य होने के नाते और ऐसा देश होने के नाते, जिसका उस क्षेत्र में काफी कुछ दांव पर लगा है, जिसके अनेक नागरिक संवेदनशील क्षेत्रों में हैं, हम सभी संबंधित पक्षों के निकट संपर्क में हैं.’’ श्रृंगला ने कहा, ‘‘हमने हमेशा कहा है कि पक्षों को एक-दूसरे से बात करने की जरूरत है और यदि इसमें हम कोई मदद कर सकते हैं तो हमें ऐसा करके बहुत खुशी होगी.’’ रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों के बारे में विदेश सचिव ने कहा, ‘‘हमें ध्यान से इनका अध्ययन करने की आवश्यकता है, क्योंकि हर प्रतिबंध का हमारे मौजूदा संबंध पर असर पड़ेगा. इस बात को स्वीकार करना उचित होगा.’’