नयी दिल्ली, 23 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने ‘‘डरा-धमकाकर’’ और ‘‘तोहफे एवं आर्थिक लाभ’’ देकर कपटपूर्वक कराए जाने वाले धर्मांतरण पर नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाने का अनुरोध करने वाली याचिका पर केंद्र एवं अन्य से शुक्रवार को जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने भारत संघ, गृह मंत्रालय और विधि एवं न्याय मंत्रालय को नोटिस जारी किए।
शीर्ष अदालत ने पक्षकारों से 14 नवंबर तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा।
शीर्ष अदालत अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ‘‘डरा-धमकाकर, उपहार और आर्थिक लाभ की पेशकश करके छल से बहकाकर’’ कपटपूर्ण तरीके से कराए जाने वाले धर्मांतरण पर रोक लगाने का केंद्र और राज्यों को निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
उपाध्याय ने याचिका में कहा कि यह एक राष्ट्रव्यापी समस्या है, जिससे तत्काल निपटे जाने की आवश्यकता है।
याचिका में कहा गया, ‘‘इससे नागरिकों को बहुत नुकसान होता है, क्योंकि एक भी ऐसा जिला नहीं है, जहां हर संभव माध्यम का इस्तेमाल करके धर्मांतरण नहीं कराया जाता हो।’’’
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