नयी दिल्ली, 11 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं से नाकेबंदी हटाने का आग्रह करने वाली एक याचिका का मंगलवार को निपटारा करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों ने पहले ही सड़कें खाली कर दी हैं और मुद्दा अब विचार के लिए बचा ही नहीं है।
मामला जब सुनवाई के लिए आया तो न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, ''अब आप स्वतंत्र हैं, जहां भी जा रही हैं, कोई बात नहीं।''
अपनी याचिका में, नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल ने कहा था कि नाकाबंदी के दौरान, लोगों को दिल्ली बॉर्डर पर यूपी गेट पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और उन्हें दिल्ली पहुंचने में 20 मिनट लगते थे लेकिन नाकाबंदी की वजह से दो घंटे से अधिक समय लगा।
उन्होंने मामले की सुनवाई के लिए अदालत को धन्यवाद दिया और निर्देश देने का अनुरोध किया ताकि भविष्य में ऐसा न हो और उन्हें फिर से अदालत में आने के लिए मजबूर न होना पड़े।
हालांकि, पीठ ने कोई निर्देश नहीं दिया और यह कहते हुए याचिका का निपटारा कर दिया कि मुद्दा अब विचार के लिए बचा ही नहीं है।
किसानों ने एक साल से अधिक समय तक दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन किया और तीन कृषि कानूनों के निरस्त होने तथा सरकार द्वारा अपनी अन्य मांगों को माने जाने के बाद सीमा स्थलों को खाली कर दिया था।
पिछली सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने कहा था कि किसानों को आंदोलन करने का अधिकार है लेकिन वे अनिश्चितकाल के लिए सड़कों को अवरुद्ध नहीं कर सकते।
इसने यह भी कहा था कि राजमार्गों को हमेशा के लिए कैसे अवरुद्ध किया जा सकता है और यह कार्यपालिका का कर्तव्य है कि वह अदालत द्वारा निर्धारित कानून को लागू करे।
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