नयी दिल्ली, 13 अगस्त समय सीमा की चिंता किए बगैर अदालत में अपील दायर करने के सरकारी अधिकारियों की निंदा करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर सरकार को लगता है कि वह ‘‘इतनी अक्षम’’ है तो वह अपील दायर करने की समय सीमा बढ़ाने के लिए विधायिका का रूख कर सकती है।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि केंद्र ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के जुलाई 2017 के फैसले के खिलाफ एक याचिका 1356 दिनों के विलंब से दायर की गई है। शीर्ष अदालत ने समय सीमा के बाद अत्यधिक विलंब के मद्देनजर याचिका खारिज कर दी और 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने इस हफ्ते की शुरुआत में अपने आदेश में कहा, ‘‘भारत सरकार ने 1356 दिनों के विलंब से विशेष अनुमति याचिका दायर की है, जो इसकी घोर अक्षमता को दर्शाता है, और वह उम्मीद करती है कि न्यायालय इसे माफ कर देगा, यह अदालत ऐसा करने से इंकार करती है।’’
पीठ ने कहा कि वह सरकार और इसके अधिकारियों के इस प्रयास की ‘‘हमेशा निंदा’’ करती है कि वे समय सीमा का ध्यान रखे बगैर ही शीर्ष अदालत में याचिका दायर करते हैं।
पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि जुर्माना उच्चतम न्यायालय समूह ‘सी’ कर्मचारी कल्याण संगठन के पास चार हफ्ते के अंदर जमा किया जाए।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के 31 जुलाई 2017 के फैसले के खिलाफ केंद्र द्वारा दायर याचिका पर उच्चतम न्यायालय सुनवाई कर रहा था। उच्च न्यायालय ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के चंडीगढ़ पीठ के फैसले को खारिज कर दिया था जिसे केंद्र ने उच्तम न्यायालय में चुनौती दी।
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