
नयी दिल्ली, 26 मई छात्र नेताओं और कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि ऐसे समय जब कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन लागू है, केंद्र और पुलिस नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करने वालों के खिलाफ ‘‘बदले की राजनीति’’ में लिप्त है।
वीडियो कॉन्फ्रेंस ऐप जूम पर संवाददाता सम्मेलन में पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार और उमर खालिद ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया और जेएनयू के छात्रों की उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे की साजिश में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तारी को लेकर पुलिस पर निशाना साधा।
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निर्दलीय विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने कहा कि ‘‘प्रतिशोध की राजनीति’’ के तहत छात्र कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की गयी ।
उन्होंने कहा, ‘‘लॉकडाउन का फायदा उठाकर पुलिस नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वालों और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के लिए लड़ने वालों को निशाना बना रही ।’’
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जेएनयू छात्र संघ के पूर्व नेता कन्हैया कुमार ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान अपनी आवाज उठाने के लिए उन्हें अलग तरीका निकालना होगा ।
उन्होंने कहा कि सरकार की ‘‘नाकामियों’’ से ध्यान हटाने के लिए गिरफ्तारियां हुईa ।
वाम समर्थित ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आईसा) के अध्यक्ष एन साईं बालाजी ने कन्हैया के विचार से सहमति जतायी। उन्होंने कहा, ‘‘यह शर्मनाक है कि जब देश में कोरोना वायरस संक्रमण के 1.65 लाख से ज्यादा मामले हो चुके हैं, सरकार छात्रों को निशाना बना रही है ।’’
फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे की साजिश में कथित संलिप्तता के लिए छात्र नेताओं सफूरा जरगर, मीरान हैदर, आसिफ इकबाल तन्हा और शैफ उर रहमान को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है ।
खालिद पर भी आतंक रोधी कानून के तहत मामला दर्ज हुआ है ।
खालिद ने कहा, ‘‘सरकार लॉकडाउन का इस्तेमाल विरोध को दबाने के लिए कर रही है। दिल्ली पुलिस जैसी अग्रणी एजेंसी अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए अपनी साख खराब कर रही है।’’
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