Sinking Joshimath: चेतावनी की अनदेखी को लेकर जोशीमठ में सरकार के खिलाफ कड़ा आक्रोश
Joshimath Sinking (Photo : ANI)

जोशीमठ, 7 जनवरी : उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ में बड़े पैमाने पर चल रहीं निर्माण गतिविधियों के कारण इमारतों में दरारें पड़ने संबंधी चेतावनियों की अनदेखी करने को लेकर स्थानीय लोगों में सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश है. स्थानीय लोग इमारतों की खतरनाक स्थिति के लिए मुख्यत: राष्ट्रीय तापविद्युत निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) की तपोवन-विष्णुगढ़ परियोजना को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. जोशीमथ बचाओ संघर्ष समिति के संजोयक अतुल सती ने कहा, “हम पिछले 14 महीनों से अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हमारी बात पर ध्यान नहीं दिया गया. अब जब स्थिति हाथ से निकल रही है तो वे चीजों का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों की टीम भेज रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “अगर समय रहते हमारी बात पर ध्यान दिया गया होता तो जोशीमठ में हालात इतने चिंताजनक नहीं होते.”सती ने बताया कि नवंबर 2021 में जमीन धंसने की वजह से 14 परिवारों के घर रहने के लिए असुरक्षित हो गए थे. उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद लोगों ने 16 नवंबर 2021 को तहसील कार्यालय पर धरना देकर पुनर्वास की मांग की थी और एसडीएम को ज्ञापन सौंपा था, जिन्होंने (एसडीएम) खुद भी स्वीकार किया था कि तहसील कार्यालय परिसर में भी दरारें पड़ गई हैं. सती ने सवाल किया, “अगर सरकार समस्या से वाकिफ थी तो उसने इसके समाधान के लिए एक साल से अधिक समय तक कोई कदम क्यों नहीं उठाया. यह क्या दर्शाता है?” यह भी पढ़ें : Bangalore: बेंगलुरू में कार की चपेट में आने से दो महिलाओं की मौत

उन्होंने कहा कि लोगों के दबाव के चलते एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ परियोजना और हेलांग-मारवाड़ी बाईपास के निर्माण को अस्थायी रूप से रोकने जैसे तात्कालिक कदम उठाए गए हैं, लेकिन यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं है. सती ने कहा, “जोशीमठ के अस्तित्व पर तब तक खतरा बरकरार रहेगा, जब तक इन परियोजनाओं को स्थायी रूप से बंद नहीं कर दिया जाता.” उन्होंने कहा कि जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ऐसा न होने तक अपना आंदोलन जारी रखेगी. बदरीनाथ मंदिर के पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने भी इमारतों में दरार पड़ने के लिए एनटीपीसी की परियोजनाओं को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, “तपोवन-विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजना की सुरंग जोशीमठ के ठीक नीचे स्थित है. इसके निर्माण के लिए बड़ी बोरिंग मशीनें लाई गई थीं, जो पिछले दो दशक से इलाके में खुदाई कर रही हैं.”

उनियाल ने कहा, “सुरंग के निर्माण के लिए रोजाना कई टन विस्फोटकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. एनटीपीसी द्वारा बड़ी मात्रा में विस्फोटकों का इस्तेमाल करने की वजह से इस साल तीन जनवरी को जमीन धंसने की रफ्तार बढ़ गई.” वह लोगों से किया वादा तोड़ने को लेकर भी एनटीपीसी से नाराज हैं. उन्होंने कहा, “एनटीपीसी ने पहले भरोसा दिलाया था कि सुरंग के निर्माण से जोशीमठ में घरों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. कंपनी ने नगर में बुनियादी ढांचों का बीमा करने का भी वादा किया था. इससे लोगों को फायदा मिलता, लेकिन वह अपने वादे पर खरी नहीं उतरी.” उनियाल ने कहा, “हमें वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर बताया जाना चाहिए कि जोशीमठ का भविष्य क्या है. यह रहने लायक है या नहीं. अगर हां तो कितने समय तक. अगर नहीं तो सरकार को हमारी जमीन और घर लेकर हमारा पुनर्वास कराना चाहिए, वरना हम वहां अपनी जान कुर्बान कर देंगे.”