देश की खबरें | पत्थर की खदानों और आवासीय क्षेत्रों में कम से कम 200 मीटर की दूरी हो: एनजीटी
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 16 सितंबर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बुधवार को कहा कि देशभर में पत्थर की खदानों और आवासीय अथवा सार्वजनिक ढांचों के बीच कम से कम 200 मीटर की दूरी बनाकर रखी जानी चाहिए।

एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि जिन पत्थर की खदानों में खनन विस्फोट के जरिए नहीं होने हैं, उनके बीच की और उनके तथा आवासीय/सार्वजनिक इमारतों के बीच की दूरी कम से कम 100 मीटर होनी चाहिए।

यह भी पढ़े | Kerala Gold Smuggling Case: राज्य मंत्री के.टी. जलील के इस्तीफे की मांग को लेकर NSUI के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से पेश रिपोर्ट पर गौर करते हुए अधिकरण ने यह आदेश पारित किया। उसने कहा कि खदान सुरक्षा निदेशालय के खतरनाक क्षेत्र से संबंधित नियम (500 मीटर) का भी कड़ाई से पालन होना चाहिए और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम से कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

अधिकरण ने सीपीसीबी को निर्देश के अनुपालन पर निगरानी रखने का निर्देश दिया और कहा कि इस मानदंड का पूरे देश में पालन किया जाए।

यह भी पढ़े | Onion Export Ban: प्याज से निर्यात बैन हटवाने में जुटे महाराष्ट्र के राजनीतिक दल, शरद पवार के बाद अब देवेंद्र फडणवीस ने केंद्र से की ये मांग.

एनजीटी केरल की निवासी उषा ए. की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में आरोप लगाया गया है कि कुरुपुजा के वाझाप्पारा नानीयोडे पंचायत में अवैध खनन किया जा रहा है।

सीपीसीबी की सिफारिश के मुताबिक जिन खदानों में विस्फोट नहीं किए जाने हैं, उनकी आवासीय, सार्वजनिक इमारतों, रहवासी क्षेत्रों, संरक्षित स्मारकों, सार्वजनिक सड़कों, रेलवे लाइनों, पुलों, बांधों, जलाशयों, नदियों, झीलों आदि से कम से कम 100 मीटर की दूरी होनी चाहिए।

जहां पर खनन के लिए विस्फोट होने हैं, सीपीसीबी के मुताबिक उनके लिए न्यूनतम 200 मीटर की दूरी का पालन करना चाहिए।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)