लखनऊ, 24 मई: उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (Special Task Force) ने अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग कराने के नाम पर पैसा ऐंठने वाले गिरोह के दो लोगों को गिरफ्तार किया है. एसटीएफ के प्रवक्ता ने रविवार को बताया कि एक चैनल पर वायरल ऑडियो क्लिप को लेकर जांच के क्रम में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर लाखों रुपये की ठगी करने वाले शातिर गिरोह के दो आरोपियों को शुक्रवार को राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर इलाके से गिरफ्तार किया गया.
दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है. प्रवक्ता ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों के नाम गौरीकान्त दीक्षित और कमलेश कुमार सिंह हैं. उन्होंने बताया कि गौरीकान्त दीक्षित ने पूछताछ में बताया कि वह और गिरोह का सरगना पीयूष अग्रवाल गाजियाबाद में एक ही सोसायटी में रहते है और उनके पारिवारिक सम्पर्क हैं. वे दोनों धोखाधड़ी के कार्यो में लिप्त रहते हैं. अग्रवाल खुद को एक सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार बताता है.
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इसी कारण उसके तमाम बड़े अधिकारियों से सम्बन्ध हैं, जिसका प्रभाव दिखाकर वह लोगों को अपने जाल में फंसाता है और स्थानांतरण करवाने के नाम पर हम लोगों के सहयोग से धोखाधडी कर पैसा ठग लेता है. दीक्षित ने बताया कि कमलेश कुमार सिंह (Kamlesh Kumar Singh) से उसके पुराने सम्बन्ध हैं. कमलेश ने उससे एक आईएएस अधिकारी की पोस्टिंग उपाध्यक्ष, कानपुर नगर विकास प्राधिकरण के पद पर कराने के लिये कहा था, जिस पर उसने पीयूष अग्रवाल से ट्रान्सफर कराने के लिए बात की.
इसपर पीयूष अग्रवाल ने कहा कि वह इस कार्य को करवा देगा, लेकिन इसमें एक करोड़ रुपये खर्च होगा. गौरीकान्त ने बताया कि उसके कहने पर ही कमलेश ने पीयूष से फोन पर बात करके उसे 15 लाख रुपये एडवांस दिए थे जिसमें से दो लाख रुपये कमलेश को मिले तथा दो लाख उसके बैंक खाते में जमा करवा दिए गए. शेष 11 लाख रुपये लेकर पीयूष दिल्ली चला गया था.
आरोपी ने बताया कि ट्रान्सफर कराने हेतु पीयूष अग्रवाल ने काफी प्रयास किया किन्तु लॉकडाउन के चलते किसी से सम्पर्क नहीं हो सका, जिसके कारण काम नहीं हो पाया. इसके बाद उसने अपना पैसा वापस मांगना शुरू कर दिया.
उसने बताया कि पैसा वापस करने के लिए पीयूष तैयार नहीं हुआ और इधर कमलेश पैसा वापस करने के लिए दबाव बनाने लगा. इसपर तीनों के बीच विवाद हो गया और कमलेश ने पीयूष से बातचीत का ऑडियो रिकॉर्ड कर लिया. उक्त ऑडियो रिकॉर्डिंग लीक होने के बाद यह मामला प्रकाश में आया.
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