नयी दिल्ली, 12 अप्रैल केंद्र ने बुधवार को राज्य सरकारों से कहा कि वे उन व्यापारियों, मिलरों एवं आयातकों तथा स्टॉकिस्टों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें, जिन्होंने तुअर (अरहर) दाल के अपने पूरे भंडार के बारे में जानकारी नहीं दी है।
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने प्रमुख दलहन उत्पादक और उपभोग करने वाले राज्यों के साथ अरहर और उड़द के स्टॉक के खुलासे की स्थिति पर समीक्षा बैठक में कहा कि अपने उत्पादन और खपत आंकड़ों की तुलना में खुलासा किये गये अरहर दाल के स्टॉक की मात्रा कुछ राज्यों में कम है।
उन्होंने एक बयान में कहा कि हालांकि स्टॉक खुलासा वाले पोर्टल में पंजीकृत संस्थाओं की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन यह देखा गया है कि कुछ राज्यों में अंशधारकों की वास्तविक संख्या अधिक हो सकती है।
बयान में कहा गया है, ‘‘राज्यों को विभिन्न संस्थाओं द्वारा रखे गए स्टॉक का सत्यापन करने और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की संबंधित धाराओं और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1980 की आपूर्ति की कालाबाजारी और रखरखाव की रोकथाम के तहत अघोषित स्टॉक पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था।’’
बाजार के कारोबारियों के दायरे को व्यापक बनाने के लिए, राज्य सरकारों को एफएसएसएआई लाइसेंस, एपीएमसी पंजीकरण, जीएसटी पंजीकरण और गोदामों से संबंधित आंकड़ों को देखने के लिए कहा गया था।
बैठक में, राज्य सरकार के अधिकारियों ने सूचित किया कि वे निगरानी तेज कर रहे हैं और स्टॉक खुलासा करने वाले पोर्टल पर भंडार के अनिवार्य पंजीकरण और खुलासा को सुनिश्चित करने के लिए उनके द्वारा किए जा रहे उपायों के बारे में जानकारी दी।
बैठक में आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
जमीनी स्तर पर स्थिति का आकलन करने के लिए, उपभोक्ता मामलों के विभाग ने 12 वरिष्ठ अधिकारियों को विभिन्न राज्यों की राजधानियों और प्रमुख तुअर उत्पादक और व्यापारिक केंद्रों के जिलों में प्रतिनियुक्त किया है ताकि विभिन्न बाजार के कारोबारियों, मिलरों और भंडारण परिचालकों से जमीनी स्तर पर प्रतिक्रिया प्राप्त की जा सके।
बयान में कहा गया है, ‘‘उनकी प्रतिक्रिया आगे की कार्रवाई तय करेगी।’’
केंद्र ने 31 मार्च को रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) और प्रमुख संगठित खुदरा विक्रेताओं के साथ एक बैठक में खुदरा विक्रेताओं को दालों, विशेष रूप से तुअर दाल पर अपने लाभ मार्जिन को ‘अनुचित स्तर’ तक नहीं रखने का निर्देश दिया था।
उन्हें खुदरा मार्जिन को इस तरह से निर्धारित करने के लिए कहा गया था कि कीमतों में वृद्धि से परिवारों की दालों की खपत की संरचना प्रभावित न हो।
कृषि मंत्रालय के दूसरे अनुमान के अनुसार पिछले वर्ष के 4.22 करोड़ टन की तुलना में फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में देश का तुअर उत्पादन घटकर तीन करोड़ 66.6 लाख टन रहने का अनुमान है, जिससे तुअर की कीमतों पर दबाव है।
अरहर मुख्य रूप से खरीफ (गर्मी) की फसल है।
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