Jammu and Kashmir: हिंसा बढ़ाने के उद्देश्य से दिए गए बयानों, बैठकों की जांच की जाएगी- जम्मू कश्मीर के डीजीपी
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जम्मू, 30 नवंबर : जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर आर स्वैन ने बृहस्पतिवार को कहा कि बयान-चाहे वे अभिव्यक्ति और असहमति की स्वतंत्रता के अंतर्गत आते हों या हिंसा बढ़ाने की साजिश से जुड़े हों, उनकी जांच की जाएगी. स्वैन ने यह भी स्पष्ट किया कि ‘‘पिछले दरवाजे से गड़बड़ी’’ की किसी भी मंशा को उजागर करने के लिए ऐसे बयानों की जांच की जाएगी, संवाद का पता लगाया जाएगा और चर्चाओं तथा बैठकों की जांच की जाएगी. स्वैन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जिम्मेदार या गैर-जिम्मेदाराना बयान-चाहे वह अभिव्यक्ति और असहमति की स्वतंत्रता का हिस्सा हों या यह हिंसा के दायरे को और बढ़ाने के लिए कुछ तत्वों के साथ साजिश या मिलीभगत का हिस्सा हों-ऐसा कुछ भी हो, जांच का विषय होगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसका पता लगाया जा सकता है, संवाद का पता लगाया जा सकता है, चर्चाओं और बैठकों की जांच की जा सकती है- अगर यह सब पिछले दरवाजे से हुआ है.’’

स्वैन पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती सहित विभिन्न नेताओं के बयानों के बारे में एक सवाल का जवाब दे रहे थे. स्वैन ने एक छात्र द्वारा धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले कथित सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर मंगलवार को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी)-श्रीनगर में हुए विरोध प्रदर्शन पर भी बात की. प्रदर्शनकारियों ने गैर-स्थानीय छात्र के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की, जिसे बाद में छुट्टी पर घर भेज दिया गया. डीजीपी ने कहा, ‘‘मैं बस इतना कह सकता हूं कि कानून इस अर्थ में काम करेगा कि यदि कोई विशेष कृत्य जानबूझकर किसी झूठ को आगे बढ़ाने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से किया गया है. उस झूठ से जान-माल की हानि होती है, आगे हिंसा होती है और नागरिकों पर हमले, भय, आतंक और धमकी के मामले में कानून स्वयं यह स्पष्ट करता है कि उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाएगा.’’ स्वैन ने कहा कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के कुछ मामलों में बयानों और हिंसा के बीच संबंध स्थापित किया गया है और अदालत ने इसे स्वीकार कर लिया. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे स्पष्ट रूप से याद है कि एनआईए के एक मामले में न्यायाधीश ने इसे सबूत के रूप में स्वीकार किया था.’’ यह भी पढ़ें : ‘डीप फेक’ वीडियो का इस्तेमाल कर साइबर ठगों ने किया बुजुर्ग को प्रताड़ित, प्राथमिकी दर्ज

ऐसी स्थितियों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का जिक्र करते हुए स्वैन ने कहा कि सार्वजनिक हस्तियों को बयान देते समय यह देखना चाहिए कि उनमें सच्चाई है या नहीं. उन्होंने कहा, ‘‘जानबूझकर कई बयान दिए गए हैं. भले ही यह सच हो, लेकिन बयानों से स्थिति खराब होने और हिंसा बढ़ने की संभावना है तो कानून के अनुसार उचित संयम बरता जाना चाहिए. उद्देश्य हिंसा को रोकना है.’’ उन्होंने कहा कि जो लोग किसी विशेष स्थिति के बारे में दृष्टिकोण के रूप में अनजाने में टिप्पणी करते हैं वे अलग हैं और वह किसी भी पुलिस जांच का हिस्सा नहीं होंगे. स्वैन ने कहा, ‘‘हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति के अधिकार के बीच यह स्पष्ट करना चाहते हैं-झूठ और अर्द्धसत्य पर आधारित और संदर्भ से बाहर या हिंसा को आगे बढ़ाने के लिए दिए गए बयान उस श्रेणी में नहीं आएंगे. हम इसमें अंतर करेंगे. हमारे पास जांच और खुफिया जानकारी के शक्तिशाली उपकरण हैं.’’ केंद्र शासित प्रदेश के पुलिस प्रमुख ने लोगों से शांति बनाए रखने और गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश करने वालों के बहकावे में न आने की अपील की.