Maharashtra Winter Session: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि मीरा-भायंदर पुलिस द्वारा नवंबर 2020 में आफताब पूनावाला के खिलाफ श्रद्धा वालकर की शिकायत पर कार्रवाई न किये जाने की जांच एक विशेष टीम करेगी. श्रद्धा की कथित तौर पर उसके ‘लिव-इन पार्टनर’ पूनावाला ने इस साल मई में दिल्ली स्थित फ्लैट में हत्या कर दी थी. पिछले महीने दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने से पहले वह कथित तौर पर श्रद्धा के शव के कई टुकड़े कर इन्हें कई हफ्तों तक जंगल में फेंकता रहा था. दिल्ली जाने से पहले पूनावाला के साथ वसई क्षेत्र में रहने वाली श्रद्धा ने 23 नवंबर, 2020 को वसई पुलिस को शिकायत दर्ज कराई थी और कहा था कि पूनावाला छह महीने से अधिक समय से उसका शारीरिक शोषण कर रहा है तथा उसे जान से मारने तथा उसके टुकड़े-टुकड़े करने की धमकी दे रहा है.
पुलिस ने कहा था कि कोई कार्रवाई इसलिए नहीं की गई थी, क्योंकि बाद में श्रद्धा ने यह कह दिया था कि पूनावाला के माता-पिता आए थे और उससे बात की थी तथा उसे अब और कोई शिकायत नहीं है. इसके साथ ही 19 दिसंबर, 2020 को शिकायत वापस ले ली गई थी. इस बीच, अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले युगलों के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए एक समिति गठित करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले की पृष्ठभूमि में, फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार ऐसी शादियों के खिलाफ नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन समय के साथ यह महसूस किया गया है कि कोई साजिश चल रही है. कुछ जिलों में ऐसी शादियां बड़ी संख्या में हो रही हैं.’’ यह भी पढ़े: Love Jihad: महाराष्ट्र में भी लव जिहाद के खिलाफ बन सकता है कानून! जानें डिप्टी सीएम फडणवीस ने क्या कहा
उपमुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि संबंधित समिति का गठन इसी उद्देश्य के लिए किया गया है.
संबंधित समिति एक मंत्री के नेतृत्व में काम करेगी और यह निगरानी के साथ ही अंतर-धार्मिक विवाहों, विवाहित जोड़ों और उनके परिवारों का रिकॉर्ड रखेगी. फडणवीस ने कहा, “यह समिति उसी उद्देश्य के लिए है. जब श्रद्धा वालकर के पिता ने कहा कि हमें समझ नहीं आया कि कहां जाएं और यदि कोई उससे बात करा पाता तो हम उसे बचा सकते थे. लोग नहीं जानते कि ऐसी स्थिति में कहां जाएं और समिति इसी सुविधा के लिए है.’’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने श्रद्धा मामले को लेकर तत्कालीन महा विकास आघाड़ी सरकार पर हमला बोला. श्रद्धा की शुरुआती शिकायत पर पुलिस की कथित निष्क्रियता का मुद्दा उठाते हुए विधानसभा में भाजपा विधायक अतुल भातखलकर ने कहा कि जब श्रद्धा वसई में रह रही थी तो उसने तुलिंज थाने में शिकायत दर्ज कराई थी और फिर उसे वापस ले लिया था.
उन्होंने कहा, ‘‘उसके पिता ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि पुलिस पर दबाव था. आफताब के माता-पिता ने भी उस पर दबाव डाला, इसलिए उसने शिकायत वापस ले ली.’’ भातखलकर ने कहा, “शिकायत मिलने पर क्या पुलिस पर कार्रवाई न करने का राजनीतिक दबाव था? जब ऐसा हुआ, उसी दौरान (अमरावती के फार्मासिस्ट उमेश) कोल्हे की हत्या कर दी गई और तबलीगी जमात का नाम आज आरोपपत्र में आया.’’ भाजपा के एक अन्य विधायक आशीष शेलार ने भी यही मुद्दा उठाया. फडणवीस ने कहा कि शिकायत दर्ज कराने (श्रद्धा द्वारा) और इसे वापस लेने के बीच एक महीने का अंतर था. उसने 23 नवंबर, 2020 को शिकायत दर्ज कराई और 19 दिसंबर, 2020 को इसे वापस ले लिया. शेलार ने सवाल किया कि क्या यह समझने के लिए जांच की जाएगी कि श्रद्धा द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद और इसे वापस लिये जाने की अवधि के बीच पुलिस ने क्या किया। जवाब में, फडणवीस ने कहा कि एक विशेष टीम का गठन किया जाएगा.
फडणवीस ने कहा, "मैंने माना है कि एक समय अंतराल है. आशीष शेलार की मांग के अनुसार, एक विशेष टीम इस बात की जांच करेगी कि श्रद्धा पर हमला क्यों किया गया, (क्यों) शिकायत वापस ले ली गई और बीच के समय में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई." उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अगर श्रद्धा की शिकायत पर संज्ञान ले लिया गया होता तो बाद में हुई घटना (हत्या) टल सकती थी. उन्होंने कहा, "पुलिस को महानिदेशक के माध्यम से निर्देश दिया गया है कि जब हिंसा का मामला सामने आए, खासकर अंतर-धार्मिक विवाह में, तो उसे तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, या कम से कम महिला की बात सुननी चाहिए."
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)