पुणे, नौ सितंबर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि कुछ तत्व, जो नहीं चाहते कि भारत विकास करे, इसके विकास की राह में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। उन्होंने यह कहा कि लेकिन डरने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में भी ऐसी ही स्थिति थी, लेकिन धर्म की शक्ति का उपयोग करके इससे निपटा गया था।
भागवत ने कहा कि अतीत में भारत पर "बाहरी" आक्रमण काफी हद तक दिखाई देते थे, इसलिए लोग सतर्क रहते थे, लेकिन अब वे विभिन्न रूपों में सामने आ रहे हैं।
भागवत डॉ. मिलिंद पराडकर द्वारा लिखित पुस्तक 'तंजावरचे मराठे' के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘जब ताड़का ने (रामायण में एक राक्षसी ने) आक्रमण किया, तो बहुत अराजकता फैल गई और वह (राम और लक्ष्मण द्वारा) केवल एक बाण से मारी गई, लेकिन पूतना (राक्षसी जो शिशु कृष्ण को मारने आई थी) के मामले में, वह (शिशु कृष्ण को) स्तनपान कराने के लिए मौसी के वेश में आयी थी, लेकिन चूंकि वह कृष्ण थे (उन्होंने उसे मार डाला)।’’
भागवत ने कहा, ‘‘आज की स्थिति भी वैसी ही है। हमले हो रहे हैं और वे हर तरह से विनाशकारी हैं, चाहे वह आर्थिक हो, आध्यात्मिक हो या राजनीतिक।’’
उन्होंने कहा कि कुछ तत्व भारत के विकास की राह में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं और वैश्विक मंच पर इसके उदय से भयभीत हैं, लेकिन वे सफल नहीं होंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘जिन लोगों को डर है कि अगर भारत का व्यापक पैमाने पर विकास होता है तो उनके कारोबार बंद हो जाएंगे, ऐसे तत्व देश के विकास की राह में बाधा उत्पन्न करने के लिए अपनी सारी शक्ति का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे योजनाबद्ध तरीके से हमले कर रहे हैं, चाहे वे भौतिक हों या सूक्ष्म, लेकिन डरने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में भी ऐसी ही स्थिति थी, जब भारत के उत्थान की कोई उम्मीद नहीं थी।’’
भागवत ने कहा कि भारत को परिभाषित करने वाली एक चीज है 'जीवनी शक्ति'।
उन्होंने कहा, ‘‘जीवन शक्ति हमारे राष्ट्र का आधार है और यह धर्म पर आधारित है जो हमेशा रहेगा।"
आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा कि धर्म सृष्टि के आरंभ में था और अंत तक इसकी (धर्म की) आवश्यकता रहेगी।
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