चंडीगढ़, 15 नवंबर पंजाब में फसल अवशेष के प्रबंधन और खेतों में पराली जलाने के लिये जुर्माना लगाये जाने के बावजूद प्रदेश में खेतों में आग लगाने की 65 हजार से अधिक घटनायें दर्ज की गयी हैं । अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी ।
अधिकारियों ने बताया कि किसान राज्य भर में धान की पराली जलाने पर प्रतिबंध की धज्जियां उड़ाते रहे, और रविवार को खेतों में आग की लगभग 2,500 घटनाएं देखी गईं, जिनमें से सबसे अधिक संगरूर जिले में हुई ।
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि इस प्रथा पर अंकुश लगाने के लिए, राज्य सरकार ने अब तक दोषी किसानों के खिलाफ 2.46 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया है।
अधिकारी ने कहा कि पंजाब में रविवार तक पराली जलाने की 65,404 घटनाएं हुईं, जबकि पिछले साल 14 नवंबर तक 73,893 मामले दर्ज किए गए थे।
हालांकि इस साल अब तक आग लगने की संख्या पिछले साल की तुलना में कम है, लेकिन इसने 2019 के आंकड़ों को पार कर लिया है।
आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में 2019 में 52,991 की तुलना में 2020 में खेतों में आग की 76,590 घटनाएं देखी गई थीं।
राज्य सरकार द्वारा पूरे पंजाब में नोडल अधिकारियों को तैनात करने और फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए अधिक मशीनें देने के बावजूद खेत में आग थमने का नाम नहीं ले रही है।
भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहा) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि सरकार हमें धान की पराली के प्रबंधन के लिए 200 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दे।’’
पंजाब और हरियाणा के किसानों पर अक्सर धान की पराली जलाने से वायु प्रदूषण फैलाने का आरोप लगाया जाता है और अकेले पंजाब में सालाना 20 मिलियन टन धान की पराली का उत्पादन होता है।
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