बेंगलुरु, 29 जनवरी: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक वचन में संबोधित करने को लेकर खेद जताते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने इसे अपनी ओर से चूक बताया और कहा कि उनका वह उनका काफी सम्मान करते हैं क्योंकि वह भी उनकी तरह शोषित वर्ग से आती हैं. सिद्धरमैया रविवार को ‘फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ ओप्रेस्ड कम्युनिटीज क्लासेज’ द्वारा आयोजित एक राज्य स्तरीय सम्मेलन में की गई अपनी टिप्पणी का हवाला दे रहे थे.
उनकी इस टिप्पणी की राज्य में, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (सेक्युलर) ने कड़ी आलोचना की है. जद(एस) नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने राष्ट्रपति को एक वचन में संबोधित करने (संभवत: उन्हें की जगह उसे कहने) को लेकर मुख्यमंत्री पद से सिद्धरमैया के इस्तीफे की मांग की है. केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सिद्धरमैया ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि संविधान और सर्वोच्च पद पर आसीन एवं इसका प्रतिनिधित्व करने वाले के प्रति उनके मन में अत्यधिक असम्मान है.
सिद्धरमैया ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि वह बहुत आहत और गुस्से में थे क्योंकि भाजपा नेताओं ने नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह के लिए राष्ट्रपति को सिर्फ इसलिए आमंत्रित नहीं किया कि वह दलित समुदाय से हैं. उन्होंने स्पष्ट किया, ‘‘सम्मेलन में बोलते समय, मैं थोड़ा भावुक हो गया और आक्रोश व्यक्त करते समय जुबान फिसलने के कारण मैंने उन्हें एकवचन में संबोधित किया.’’ मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि ग्रामीण इलाकों में, जहां से वह आते हैं, माता-पिता और अपने से उम्र में बड़ों को एक वचन में संबोधित करने की परंपरा है.
उन्होंने कहा, ‘‘माननीय राष्ट्रपति का मैं बहुत सम्मान करता हूं, क्योंकि वह भी मेरी तरह शोषित वर्ग से आती हैं. उन्हें एकवचन में संबोधित नहीं करना चाहिए था. मैं इस गलती के लिए खेद व्यक्त करता हूं.’’ ‘एक्स’ पर सिलसिलेवार पोस्ट में मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए कुमारस्वामी ने कहा कि सिद्धरमैया एक पल के लिए भी मुख्यमंत्री पद पर रहने के लायक नहीं हैं. उन्हें नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर राज्यपाल को उन्हें पद से हटा देना चाहिए.
जोशी ने ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में कहा, ‘‘प्रिय सिद्धरमैया, मैं बिल्कुल नहीं समझ पा रहा हूं कि आपको और आपकी पार्टी को क्या हो गया है! आपने बार-बार साबित किया है कि आपके मन में संविधान और इसका प्रतिनिधित्व करने वाले, सर्वोच्च पदों पर आसीन लोगों के प्रति अत्यधिक असम्मान की भावना है.’’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को और वह भी एक महिला को एकवचन में संबोधित करना बेहद अपमानजनक है. उन्होंने कहा, ‘‘आप जैसे कानून के छात्र द्वारा ऐसी बात करना और भी चौंकाने वाला एवं निराशाजनक है. या तो शिक्षा आपसे दूर हो गई है या आप भुलक्कड़ होते जा रहे हैं. मुझे हैरत है कि इनमें से क्या है। आपके शब्दों और कार्यो में न तो आयु और न ही अनुभव ही झलकता है.’’
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