बेंगलुरू, तीन जुलाई विपक्ष के नेता सिद्धरमैया ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि कोविड-19 के इलाज के लिए उपकरणों की खरीद में कर्नाटक सरकार ने फर्जीवाड़ा किया है और इसकी जांच की मांग की। उनके आरोप से चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने इंकार किया है।
कोरोना वायरस के संकट से निपटने में सरकार पर ‘‘गैर जिम्मेदाराना’’ रवैया अपनाने के आरोप लगाते हुए उन्होंने पारदर्शिता की मांग की।
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सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘सरकार ने तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक के कोरोना से जुड़े उपकरण (मेडिकल) खरीदे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रथमदृष्ट्या प्रतीत होता है कि सरकार ने बाजार मूल्य से अधिक राशि का भुगतान किया।’’
संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा कि खरीद के दौरान सरकार ने बाजार मूल्य से दो से तीन गुना ज्यादा कीमत चुकाई है।
उन्होंने कहा कि ‘फर्जीवाड़ा’ हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं मांग करता हूं कि सरकार खरीद और भुगतान को लेकर श्वतेपत्र जारी करे। मैं खरीद की जांच की भी मांग करता हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि इसमें कौन संलिप्त है, लेकिन इसमें स्पष्ट रूप से फर्जीवाड़े एवं भ्रष्टाचार का मामला है। यह प्रथमदृष्ट्या प्रतीत होता है।’’
आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री के. सुधाकर ने कहा कि मुख्य सचिव की देखरेख में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सभी खरीदारियां पारदर्शी तरीके से हुई हैं।
मंत्री ने कहा, ‘‘पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप लगाना गलत है। मैं दुखी हूं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर उन्हें कोई संदेह है तो वह मुख्य सचिव या हमसे पूछ सकते थे, हम स्पष्ट कर देते। इससे अच्छा संदेश नहीं जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है क्योंकि यह पारदर्शी है और किसी भी जांच के लिए तैयार है।
कोविड-19 संकट से निपटने में सरकार द्वारा लापरवाही बरतने, प्रतिबद्धता की कमी और गैर जवाबदेह होने का आरोप लगाते हुए सिद्धरमैया ने कहा कि मुख्यमंत्री येदियुरप्पा कुछ भी कर पाने की स्थिति में नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि मंत्री उनकी सुनते भी हैं।’’
उन्होंने दावा किया कि स्वास्थ्य मंत्री श्रीरामुलू, चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुधाकर और राजस्व मंत्री आर. अशोक सहित मंत्रियों के बीच वर्चस्व की लड़ाई है। उन्होंने कहा, ‘‘एक या दो मंत्रियों को छोड़कर सरकार के बीच समन्वय नहीं है।’’
बेल्लारी की घटना को लेकर सरकार पर प्रहार करते हुए सिद्धरमैया ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री श्रीरामुलू को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। बेल्लारी में कोविड-19 के कारण मरने वालों के शव एक गड्ढे में फेंकने का मामला प्रकाश में आया था।
उन्होंने कहा कि श्रीरामुलू भी बेल्लारी से आते हैं और घटना दिखाती है कि मृतकों के प्रति राज्य सरकार क्या सम्मान भाव रखती है।
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