नयी दिल्ली, 23 फरवरी शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे नीत नयी सरकार का गठन सर्वोच्च अदालत के दो आदेशों का "प्रत्यक्ष और अपरिहार्य नतीजा" था जिसने राज्य के न्यायिक और विधायी अंगों के बीच "सह-समानता और परस्पर संतुलन को बिगाड़ दिया।’’
उद्धव ठाकरे धड़े की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ से कहा कि सर्वोच्च अदालत के 27 जून, 2022 और 29 जून, 2022 के आदेश "संयुक्त रूप से", केवल यथास्थिति बनाए रखने वाले आदेश नहीं थे, बल्कि एक नयी यथास्थिति बन गई।
उन्होंने कहा, " 30 जून, 2022 को नयी सरकार का गठन सर्वोच्च अदालत के दो आदेशों का प्रत्यक्ष और अपरिहार्य परिणाम था। 27 जून, 2022 के आदेश से, इस अदालत ने विधानसभा के उपाध्यक्ष को अयोग्यता संबंधी लंबित याचिकाओं पर फैसला करने की अनुमति नहीं देकर एक नकारात्मक निषेधाज्ञा दी। और, 29 जून, 2022 के आदेश से, 30 जून, 2022 को विश्वास मत की अनुमति दे कर सकारात्मक आदेश पारित किया गया।’’
उन्होंने कहा कि सरकार बदलने का व्यापक परिणाम हुआ और क्योंकि विधानसभा के उपाध्यक्ष को दसवीं अनुसूची (अयोग्यता कानून) के तहत अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करने से अंतरिम रूप से अक्षम कर दिया गया। उन्होंने कहा कि 27 जून, 2022 का फैसला 1992 के किहोतो होलोहन मामले में पांच न्यायाधीशों के आदेश के विपरीत था।
किहोतो मामले में सर्वोच्च अदालत के फैसले में विधायकों की अयोग्यता तय करने में विधानसभा अध्यक्ष की व्यापक शक्तियों को बरकरार रखा गया था।
उद्धव धड़े की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मंगलवार को सर्वोच्च अदालत से शिंदे और उनके खेमे से जुड़े शिवसेना विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता कार्यवाही पर फैसला करने का अनुरोध करते हुए कहा था कि यह "संविधान की लोकतांत्रिक भावना को बनाए रखने" का एकमात्र तरीका होगा।
मामले में सुनवाई अधूरी रही और अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।
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