शीतल देवी और राकेश कुमार ने Paris Paralympics 2024 के तीरंदाजी मिक्स्ड टीम ने जीता ब्रोंज मेडल
राकेश कुमार और शीतल देवी (Photo Credits: @SportsArena1234/X)

Paris Paralympics 2024: पेरिस, दो सितंबर भारतीय तीरंदाज शीतल देवी और राकेश कुमार की जोड़ी ने सोमवार को यहां पेरिस पैरालम्पिक की मिश्रित टीम कंपाउंड ओपन तीरंदाजी स्पर्धा के सेमीफाइनल में हारने की निराशा से उबरते हुए इटली के मातेओ बोनासिना और एलेओनोरा सारती को 156 . 155 से हराकर कांस्य पदक जीत लिया. भारत के लिये पैरालम्पिक में तीरंदाजी का पदक इससे पहले सिर्फ हरविंदर सिंह ने तीन साल पहले तोक्यो में (कांस्य) जीता था. भारत को जीत तब मिली जब 17 वर्ष की शीतल का शॉट रिविजन के बाद अपग्रेड कर दिया गया. चार तीर बाकी रहते भारतीय जोड़ी एक अंक से पिछड़ रही थी लेकिन आखिर में संयम के साथ खेलते हुए जीत दर्ज की. यह भी पढ़ें: Paris Paralympics 2024 के विमेंस सिंगल SU5 स्पर्धा में ऐतिहासिक पदक जीतने के लिए PM मोदी ने की थुलसीमाथी मुरुगेसन और मनीषा रामदास की सराहना

इससे पहले सेमीफाइनल में भारतीय जोड़ी शूटआफ में ईरान की फातिमा हेमाती और हादी नोरी से हार गई थी. भारतीय जोड़ी फाइनल में जगह बनाने के करीब पहुंच गई थी लेकिन ईरानी टीम की शानदार वापसी और एक जज द्वारा स्कोर के रिविजन के बाद उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा.

स्कोर 152 . 152 से बराबर होने के बाद मुकाबला शूटआफ में गया. ऐसा लग रहा था कि भारतीय जोड़ी ने जीत दर्ज कर ली है जब ईरानी टीम ने चौथे तीर पर नौ स्कोर किया हालांकि जज ने समीक्षा के बाद उसे 10 करार दिया । इससे मुकाबला शूटआफ तक गया.

शूटआफ में दोनों टीमों ने परफेक्ट स्कोर किया लेकिन फातिमा का तीर बीचोंबीच लगा जिससे ईरानी टीम ने फाइनल में जगह बनाई. इससे पहले शीतल और राकेश ने क्वार्टर फाइनल में तियोडोरा ऑडी आयुदिया फेरेलिन और केन स्वेगुमिलांग की इंडोनेशिया की जोड़ी को आसानी से 154-143 से हराया. मिश्रित कंपाउंड ओपन वर्ग में शीतल और राकेश की शीर्ष वरीय जोड़ी ने सेमीफाइनल तक के सफर के दौरान शानदार फॉर्म दिखाई.

शीतल का जन्म 2007 में फोकोमेलिया नामक एक दुर्लभ जन्मजात विकार के साथ हुआ था जिसके कारण उसके अंग अविकसित रह जाते हैं. इस बीमारी के कारण उसके हाथ पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाए. 39 वर्षीय राकेश को रीढ़ की हड्डी में चोट लगी थी और 2009 में इससे उबरने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि अब उन्हें जीवन भर व्हीलचेयर पर रहना होगा जिससे वे अवसाद में चले गए और यहां तक ​​कि उन्होंने आत्महत्या करने के बारे में भी सोचा. रविवार को राकेश पुरुषों के कंपाउंड ओपन वर्ग के कांस्य पदक मुकाबले में चीन के ही जिहाओ से एक अंक से हार गए थे.

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)