पुणे, पांच नवंबर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार ने संसदीय राजनीति से संन्यास लेने का संकेत देते हुए मंगलवार को कहा कि उन्हें इस बात पर विचार करना होगा कि राज्यसभा की सदस्यता का मौजूदा कार्यकाल समाप्त होने बाद क्या उन्हें एक बार फिर से उच्च सदन में जाना चाहिए या नहीं।
जिले के बारामती विधानसभा क्षेत्र के सुपा में अपने पोते युगेंद्र पवार के लिए एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए 83 वर्षीय नेता ने कहा कि उन्हें कहीं तो रुकना होगा और नए नेतृत्व के लिए रास्ता बनाना होगा।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में 14 चुनाव जीते हैं।
पवार ने कहा, “आपके सहयोग से ही मैं पहले विधानसभा में गया। राज्य मंत्री बना और फिर कैबिनेट मंत्री बना। चार बार मुख्यमंत्री बना। केंद्र में रक्षा मंत्री रहा। बाद में दस साल तक कृषि मंत्री रहा और आज मैं राज्यसभा में हूं।”
उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले उन्होंने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था क्योंकि वह नए नेतृत्व को जिम्मेदारी देना चाहते थे।
पवार ने कहा, “ मैंने तय किया कि मैं यहां की स्थानीय राजनीति में शामिल नहीं रहूंगा और सारी जिम्मेदारियां अजित दादा (भतीजे अजित पवार) को दे दी। पिछले 25-30 साल से सारी जिम्मेदारियां उन्हीं के पास थीं। पहले 30 साल मैं वहां था, उसके बाद 25-30 साल अजित दादा वहां रहे और अब नए नेतृत्व की व्यवस्था करने की जरूरत है।”
शरद पवार की अगुआई वाली राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने युगेंद्र को टिकट दिया है, जो 20 नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बारामती में अपने चाचा और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के खिलाफ मैदान में हैं। अजित पवार ने 2023 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को तोड़ दिया था और वह सत्तारूढ़ शिवसेना-भाजपा गठबंधन में शामिल हो गए थे।
अपनी उपलब्धियों को गिनाते हुए शरद पवार ने कहा कि जब वह सत्ता में थे तो कुछ विकास हुआ।
उन्होंने कहा, “मैंने बहुत सारे काम किए। मैंने 70,000 करोड़ रुपये के कृषि ऋण माफ किए, कृषि उपज की कीमतें बढ़ाने के लिए काम किया, कृषि निर्यात को सुविधाजनक बनाया, रक्षा मंत्रालय में काम करते हुए महिलाओं को सशस्त्र बलों में अवसर दिए।”
शरद पवार ने कहा कि जब वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे, तब स्थानीय निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व दिया गया था।
उन्होंने पश्चिमी महाराष्ट्र क्षेत्र में जल संकट के मुद्दे पर ध्यान न देने के लिए अपने भतीजे एवं बारामती से वर्तमान विधायक अजित को जिम्मेदार ठहराया।
शरद पवार ने दावा किया, “जब मैं राज्य का मुख्यमंत्री था, तब मैंने बारामती में जनाई शिरसाई (सिंचाई) परियोजना को मंजूरी दी थी। इस काम को पूरा करने की जिम्मेदारी अगले नेतृत्व (अजित पवार) को दी गई थी। दुर्भाग्य से, उन्होंने काम पूरा नहीं किया।”
उन्होंने कहा कि इन अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए नए नेतृत्व की जरूरत है।
वरिष्ठ नेता ने कहा, “ मैं सिर्फ एक आश्वासन दे सकता हूं। मैं सत्ता में नहीं हूं। मैं राज्यसभा में हूं और मेरा डेढ़ साल का कार्यकाल बचा है। उसके बाद मुझे तय करना होगा कि मुझे फिर से राज्यसभा जाना है या नहीं। मैं न तो लोकसभा (चुनाव) लड़ूंगा, न ही कोई और चुनाव लड़ूंगा। मैंने अब तक 14 चुनाव लड़े हैं और हर बार आपने मुझे जिताया है और इसलिए कहीं न कहीं रुकने की जरूरत है। और इसलिए मैंने नए नेतृत्व को लाने के लिए काम करना शुरू कर दिया है।”
शरद पवार ने कहा कि हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि वह सामाजिक क्षेत्र से संन्यास ले लेंगे।
उन्होंने कहा, “मैं सत्ता में नहीं रहूंगा, लेकिन लोगों के लिए काम करना जारी रखूंगा, सूखा प्रभावित क्षेत्रों और समाज के हाशिए पर पड़े तबकों के लिए काम करता रहूंगा।”
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