इस्लामाबाद, 11 अप्रैल संयुक्त विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के जरिए इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने के बाद पाकिस्तान के विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ के सोमवार को पाकिस्तान का नए प्रधानमंत्री चुने जाने की संभावना है।
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली का सत्र सोमवार को प्रधानमंत्री चुनने के लिए बुलाया जाएगा। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष 70 वर्षीय शरीफ और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के उपाध्यक्ष एवं पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने रविवार को इस पद के लिए अपने अपने नामांकन पत्र दाखिल किये।
सदन के नए नेता के चुनाव की प्रक्रिया रविवार को खान को अविश्वास मत के माध्यम से पद से हटाए जाने के बाद शुरू हुई। सदन का विश्वास खोने के बाद देश के इतिहास में खान ऐसे पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पद से हटाया गया है।
विपक्ष ने खान को पद से हटाने के लिए 174 वोट जुटाए थे। अगर वे सोमवार को भी संख्याबल दोहरा सके, तो शरीफ पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री होंगे। इस बीच, संयुक्त विपक्ष द्वारा ऐतिहासिक अविश्वास प्रस्ताव के बाद रविवार को कैबिनेट डिवीजन ने संघीय मंत्रिमंडल के 52 सदस्यों को गैर-अधिसूचित कर दिया।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शरीफ के नामांकन पत्र को नेशनल असेंबली सचिवालय ने पीटीआई द्वारा उठाई गई आपत्तियों को खारिज करने के बाद स्वीकार कर लिया है। कुरैशी का नामांकन पत्र भी स्वीकार कर लिया गया।
पीटीआई के वरिष्ठ नेता बाबर अवान ने शरीफ की उम्मीदवारी को चुनौती देते हुए कहा कि पीएमएल-एन प्रमुख को कई अदालती मामलों का सामना करना पड़ा। 2019 में, राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो ने शहबाज और उनके बेटे हमजा शरीफ को धन शोधन के आरोप में गिरफ्तार किया था।
इस बीच, पीटीआई अपने सांसदों को नेशनल असेंबली से वापस बुलाने और नयी आगामी सरकार के खिलाफ एक आंदोलन शुरू करने पर विचार कर रही है। शरीफ ने तीन बार पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है।
खान की अध्यक्षता में पार्टी की कोर कमेटी की बैठक हुई। खान के आवास पर कोर कमेटी की बैठक के बाद पीटीआई के नेता और पूर्व मंत्री फवाद चौधरी ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘कोर कमेटी ने इमरान खान से सिफारिश की है कि हमें सदन से इस्तीफा दे देना चाहिए। हम नेशनल असेंबली से शुरुआत कर रहे हैं। अगर शहबाज शरीफ के नामांकन पत्र के खिलाफ हमारी आपत्तियां नहीं मंजूर होती हैं, तो हम कल इस्तीफा सौंप देंगे।’’
सांसदों का सामूहिक इस्तीफा हो या नहीं हो, इस बारे में पीटीआई कोर कमेटी कोई निर्णय पर नहीं पहुंच पाई। पार्टी अध्यक्ष ने अंतिम निर्णय लेने के लिए सोमवार दोपहर 12 बजे संसद भवन में संसदीय दल की बैठक बुलाई। कुरैशी प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव लड़ेंगे या पीटीआई और उसके सहयोगियों के अन्य सांसदों के साथ इस्तीफा देंगे, यह पीटीआई संसदीय बैठक के नतीजे पर निर्भर करता है।
342 सदस्यीय सदन में नया प्रधानमंत्री बनने के लिए 172 वोटों की आवश्यकता होगी। इस बीच, बड़ी संख्या में पीटीआई के समर्थकों ने खान को हटाने के खिलाफ लाहौर के लिबर्टी चौक पर एक विरोध रैली निकाली। फैसलाबाद, मुल्तान, गुजरांवाला, वेहारी, झेलम और गुजरात जिलों सहित पंजाब प्रांत के अन्य हिस्सों से भी बड़ी जनसभाओं की सूचना मिली। इस्लामाबाद और कराची में भी पीटीआई समर्थकों की भारी भीड़ उमड़ी।
रविवार रात नौ बजे के बाद अलग-अलग शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। खान के आह्वान पर कई घंटों तक प्रदर्शन जारी रहा। ब्रिटेन में लंदन में शरीफ परिवार के आवास एवेनफील्ड अपार्टमेंट के बाहर प्रदर्शन के दौरान पीटीआई और पीएमएल-एन समर्थक एक-दूसरे से भिड़ गए।
पद से हटने के बाद से खान ने पहली बार ट्वीट किया, ‘‘पाकिस्तान 1947 में एक स्वतंत्र देश बना, लेकिन शासन परिवर्तन की विदेशी साजिश के खिलाफ आज फिर से स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ है। हमेशा देश के लोग अपनी संप्रभुता और लोकतंत्र की रक्षा करते हैं।’’
नामांकन दाखिल करने से पहले शरीफ ने ‘‘संविधान के लिए’’ खड़े होने वालों को ‘‘विशेष धन्यवाद’’ दिया। उन्होंने रविवार को नेशनल असेंबली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैं अतीत की कड़वाहट में नहीं लौटना चाहता। हम उन्हें भूलकर आगे बढ़ना चाहते हैं। हम बदला नहीं लेंगे या अन्याय नहीं करेंगे, हम लोगों को बिना किसी कारण के जेल नहीं भेजेंगे, कानून और न्याय अपना काम करेगा।’’
शरीफ के लिए चार निर्दलीय उम्मीदवारों को अपने पाले में करना भी वास्तविक चुनौती होगी ताकि संसद अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर सके। संसद का मौजूदा कार्यकाल अगले साल अगस्त में समाप्त होगा।
पूर्व राष्ट्रपति और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी ने संयुक्त विपक्ष की बैठक में प्रधानमंत्री के लिए शरीफ के नाम का प्रस्ताव रखा था। जरदारी के बेटे बिलावल भुट्टो को नया विदेश मंत्री नियुक्त किए जाने की संभावना है।
पाकिस्तान 1947 में अपने गठन के बाद से कई शासन परिवर्तन और सैन्य तख्तापलट के साथ राजनीतिक अस्थिरता से जूझता रहा है। देश के किसी भी प्रधानमंत्री ने कभी भी पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है।
पिछले साल खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख की नियुक्ति का समर्थन करने से इनकार करने के बाद खान देश की ताकतवर सेना का समर्थन खो चुके थे। हालांकि अंत में, वह सहमत हो गए लेकिन इससे सेना के साथ उसके संबंध बिगड़ गए, जिसने अब तक सुरक्षा और विदेश नीति के मामलों में काफी ताकत का इस्तेमाल किया है।
जनरल कमर जावेद बाजवा ने पिछले हफ्ते खान के अमेरिका विरोधी रुख से दूरी बनाते हुए कहा था कि पाकिस्तान अपने सबसे बड़े निर्यात व्यापारिक साझेदार अमेरिका और पाकिस्तान के सदाबहार सहयोगी चीन के साथ अच्छे संबंध चाहता है।
खान दावा करते रहे हैं कि उनके खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव उनकी स्वतंत्र विदेश नीति के कारण एक ‘‘विदेशी साजिश’’ का नतीजा था। उन्होंने साजिश के पीछे अमेरिका का नाम लिया है, जिसने इस आरोप से इनकार किया है।
‘नया पाकिस्तान’ बनाने के वादे के साथ खान 2018 में सत्ता में आए थे, लेकिन उनकी सरकार पर आर्थिक कुप्रबंधन के आरोप लगे और वह विदेशी मुद्रा भंडार में कमी एवं दोहरे अंकों की मुद्रास्फीति को कम करने की समस्या से जूझ रही थी।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)