देश की खबरें | एसजीपीसी ने मोहाली की ‘मीनार-ए-फतेह’ को तिरंगे की रोशनी से रोशन करने पर आपत्ति जताई

अमृतसर, 14 अगस्त शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने रविवार को ‘मीनार-ए-फतेह’ को तिरंगे की रोशनी में जगमगाने पर आपत्ति जताते हुए इसे ‘सिख भावनाओं के साथ खिलवाड़’ करार दिया।

‘मीनार-ए-फतेह’ पंजाब के मोहाली में छप्पड़ चिड़ी में सिख योद्धा बाबा बंदा सिंह बहादुर द्वारा सरहिंद पर जीत की याद में बनाया गया एक स्मारक है। एसजीपीसी के प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि सिख योद्धा बाबा बंदा सिंह बहादुर ने तत्कालीन मुगल शासक को अत्याचारों के लिए दंडित करते हुए सरहिंद को जीतकर खालसा के ‘निशान साहिब’ को फहराया था।

धामी ने एक बयान में कहा, ‘‘बाबा बंदा सिंह बहादुर के स्मारक को तिरंगे की रोशनी से रोशन करने से सिख भावनाओं को ठेस पहुंची है।’’ उन्होंने कहा कि देश की मान्यताओं का सम्मान किया जाता है, लेकिन आस्था की मान्यताएं इससे अलग हैं और इन्हें मिलाया नहीं जा सकता।

धामी ने आरोप लगाया, ‘‘पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार ने आदरणीय गुरुओं और सिख भावनाओं के दर्शन के खिलाफ अपने कार्यों के साथ अपनी सिख विरोधी मानसिकता दिखाई है। देश में सिख भावनाओं के विपरीत माहौल जानबूझकर बनाया जा रहा है जिससे सिख लोगों में भारी आक्रोश है।’’

उन्होंने कहा कि पूर्व में हरियाणा के अंबाला में जिला परिषद प्रशासन द्वारा ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए एक पत्र जारी किया गया था, लेकिन ‘संगत’ (समुदाय) के विरोध के बाद इसे वापस ले लिया गया। धामी ने कहा कि इसी तरह मध्य प्रदेश के इंदौर में ऐतिहासिक गुरुद्वारा इमली साहिब में शनिवार को राष्ट्रीय ध्वज फहराने से सिख भावनाओं को ठेस पहुंची है।

एसजीपीसी प्रमुख ने कहा कि हर कोई सिख परंपराओं से अवगत है, इसके बावजूद ‘मर्यादा’ के विपरीत इस तरह के कार्यों से सिखों की भावनाओं को ‘‘जानबूझकर भड़काया’’ जा रहा है।

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