चंडीगढ़, 17 अक्टूबर तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के पद से इस्तीफा भेजने के एक दिन बाद, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्होंने उनका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया है।
धामी ने कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने हमेशा तख्तों के जत्थेदारों का सम्मान किया है और आगे भी करती रहेगी।
उन्होंने कहा कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह द्वारा तख्त दमदमा साहिब और अकाल तख्त साहिब में दी गई सेवाएं सराहनीय रही हैं और समुदाय को भविष्य में भी उनकी सेवाओं की आवश्यकता है।
धामी ने जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से अपनी सेवाएं जारी रखने की अपील की।
तख्त दमदमा साहिब सिखों के पांच तख्तों या लौकिक सत्ता की सीट में से एक है और यह बठिंडा जिले के तलवंडी साबो में स्थित है।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने बुधवार को तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार के पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के पूर्व प्रवक्ता विरसा सिंह वल्टोहा पर उन्हें और उनके परिवार को निशाना बनाने का आरोप लगाया।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने वल्टोहा पर आरोप लगाया था कि वह लगातार उनका “चरित्र हनन” कर रहे हैं।
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने भी ज्ञानी हरप्रीत सिंह के समर्थन में आए थे और उन्होंने एसजीपीसी को निर्देश जारी किया था कि जत्थेदार का इस्तीफा स्वीकार न किया जाए, अन्यथा वह भी अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने अपने इस्तीफे की घोषणा उस समय की थी, जब एक दिन पहले अकाल तख्त के जत्थेदार (ज्ञानी रघबीर सिंह) ने वल्टोहा को सिख धर्मगुरुओं के ‘‘चरित्र हनन का दोषी’’ पाते हुए उन्हें शिअद से निष्कासित करने का निर्देश जारी किया था।
एसजीपीसी प्रमुख धामी ने बृहस्पतिवार को कहा कि समुदाय इस समय नाजुक दौर से गुजर रहा है, क्योंकि पंथ विरोधी ताकतें लगातार सिख संस्थाओं को निशाना बना रही हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में सभी की यह साझा जिम्मेदारी है कि किसी भी विवाद से बचें और समुदाय के व्यापक हित के लिए काम करें।
धामी ने आरोप लगाया, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और पंथ विरोधी ताकतें पहले से ही सिख संस्थाओं को तोड़ने की मंशा से आगे बढ़ रही हैं। इसका एक उदाहरण एसजीपीसी को तोड़कर अलग हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का गठन तथा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में सरकार का सीधा हस्तक्षेप है, इसके अलावा तख्त श्री हजूर साहिब नांदेड़ तथा तख्त श्री हरमंदर जी पटना साहिब के प्रबंधन में भी हस्तक्षेप है।”
उन्होंने कहा कि समुदाय की संस्थाओं की मजबूती के लिए किसी विवाद में पड़ना उचित नहीं है।
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