नयी दिल्ली, दो जुलाई केन्द्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि तबलीगी जमात की गतिविधियों में कथित रूप से संलिप्तता के कारण 2500 से अधिक विदेशी नागरिकों को काली सूची में रखने और उनके वीजा रद्द करने के प्रत्येक मामले में आदेश पारित किया गया है।
केन्द्र ने न्यायालय को सूचित किया कि उपलब्ध सूचना के अनुसार 11 राज्यों ने तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों के खिलाफ 205 प्राथमिकी दर्ज की हैं और अभी तक 2,765 विदेशियों को काली सूची में शामिल किया गया है जबकि 2,679 विदेशियों के वीजा रद्द किये गये हैं। इनमें नौ समुद्रपारीय भारत के नागरिक कार्ड धारक शामिल हैं।
शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में केन्द्र ने यह भी कहा कि तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों की तलाश में 1,906 लुक आउट सर्कुलर जारी किये गये थे जबकि यह सर्कुलर जारी होने या फिर काली सूची में शामिल किये जाने की कार्यवाही से पहले ही 227 विदेशी भारत से लौट गये थे।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से इस मामले की सुनवाई की। सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि केन्द्र ने एक हलफनामा दाखिल किया है जिसमे कहा गया है कि वीजा रद्द करने और काली सूची में रखने के बारे में मामले दर मामले के आधार पर आदेश पारित किये गये हैं।
मेहता ने कहा कि वीजा प्रदान करना मौलिक अधिकार तो क्या लागू करने योग्य अधिकार भी नहीं है और इन विदेशी नागरिकों को सिर्फ काली सूची में ही नहीं शामिल किया गया है बल्कि इनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं और उन पर विदेशी नागरिक कानून के तहत मुकदमे चलाये जायेंगे।
पीठ ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं को केन्द्र के हलफनामे का जवाब देने का निर्देश देते हुये इसकी सुनवाई 10 जुलाई के लिये स्थगित कर दी। पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वापस भेजे जाने के बारे में वे सक्षम प्राधिकारी के समक्ष उचित आवेदन करें।
तलबीगी जमात की गतिविधियों में शामिल हुये 35 देशों के इन नागरिकों ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह ने कहा कि यदि इन विदेशी नागरिकों ने किसी कानून का उल्लंघन किया था तो उन्हे उनके देश वापस भेजा जा सकता था।
उन्होने कहा कि केन्द्र का कहना है कि मामले दर मामले के आधार पर आदेश पारित किये गये जबकि करीब 1500 विदेशी नागरिकों के वीजा रद्द करने के बारे में उन्हें एक लाइन का ईमेल भेजा गया था लेकिन 10 साल के लिये भारत यात्रा पर प्रतिबंध लगाने के बारे में उन्हें कोई कारण बताओ नोटिस नहीं दिया गया।
इस पर पीठ ने सिंह से कहा कि वे केन्द्र के प्रत्येक आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं क्योकि अदालत को ही यह देखना होगा कि आदेश तर्कसंगत तरीके से पारित किये गये हैं या इन्हें यांत्रिक तरीके से पास किया गया है।
पीठ ने कहा कि इन नागरिकों कोउनके देश वापस भेजने का सवाल तो उस समय उठेगा जब उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं होगा।
पीठ ने केन्द्र से कहा कि वीजा रद्द करने के बारे मे पारित आदेशें को न्यायालय में दाखिल किया जाये और इसे याचिकाकर्ताओं के वकीलों को भी दिया जाये।
न्यायालय ने 29 जून को तबलीगी जमात की गतिविधियों में कथित रूप से संलिप्तता की वजह से काली सूची में रखे गये 35 देशों के करीब 2500 विदेशी नागरिकों की वीजा स्थिति के बारे में सोमवार को गृह मंत्रालय को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था।
सरकार के दो अप्रैल और चार जून के आदेश के खिलाफ थाईलैंड की सात माह की गर्भवती नागरिक सहित 34 व्यक्तियों ने चार याचिकायें दायर की हैं।
अनूप
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