नयी दिल्ली, 16 सितंबर वैज्ञानिकों ने ‘जीन-संपादित’ पहला नर मवेशी सृजित किया है, जिससे तेजी से बढ़ती वैश्विक आबादी के लिये खाद्य उत्पादन को बेहतर किया जा सकता है।
‘सरोगेट सायर’ कहे जाने वाले इस नर मवेशी के शुक्राणु सिर्फ उसकी आनुवांशिक विशेषताओं को आगे की पीढ़ी में लेकर जाएंगे।
"पीएनएएस" जर्नल में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि यह तकनीक मवेशियों में वांछित विशेषताओं के प्रसार को गति दे सकती है। यह दूर-दराज़ के क्षेत्रों में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के बेहतरीन जानवरों की आनुवंशिक खूबियों को उपलब्ध करा सकती है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि इस वैज्ञानिक प्रगति से बकरे जैसे जानवरों को और उम्दा नस्ल वाला बनाया जा सकता है।
अमेरिका में वाशिंगटन राज्य विश्वविद्यालय में प्रजनन संबंधी जीववैज्ञानिक जॉन ओटले ने बताया कि इस प्रौद्योगिकी के जरिए हम वांछित आनुवांशिक विशेषता प्राप्त कर सकते हैं और खाद्य उत्पादन की क्षमता में सुधार कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि हमें जानवरों को कम पानी, कम चारा और कम एंटीबायोटिक देनी होंगी।
वैज्ञानिकों ने जीन संपादित करने वाले उपकरण ' सीआरआईएसपीआर-सीएएस9 ' का इस्तेमाल किया।
जीन-संपादन के तहत डीएनए को उसकी वास्तविक स्थिति से एक नए रूप में निर्मित किया जाता है।
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