मुंबई, 13 नवंबर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को फिर से घरेलू प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंकों (डी-एसआईबी) की सूची में शामिल किया है।
केंद्रीय बैंक ने बुधवार को डी-एसआईबी की सूची जारी की।
इस सूची में शामिल होने के लिए ऋणदाताओं को उस ‘बकेट’ के अनुसार पूंजी संरक्षण भंडार के अतिरिक्त उच्च ‘कॉमन इक्विटी टियर 1’ (सीईटी 1) बनाए रखना आवश्यक है, जिसके अंतर्गत इसे वर्गीकृत किया गया है।
सूची के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) अब भी ‘बकेट 4’ में बना हुआ है, जिसके लिए देश के सबसे बड़े ऋणदाता को 0.80 प्रतिशत का अतिरिक्त सीईटी 1 रखना होगा।
निजी क्षेत्र के सबसे बड़ा ऋणदाता एचडीएफसी बैंक को ‘बकेट 2’ में रखा गया है, जिसके तहत उसे 0.40 प्रतिशत अधिक सीईटी 1 बनाए रखना होगा।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि, एसबीआई तथा एचडीएफसी बैंक के लिए उच्च डी-एसआईबी अधिभार एक अप्रैल 2025 से लागू होगा। ‘‘इसलिए 31 मार्च 2025 तक एसबीआई और एचडीएफसी बैंक पर लागू डी-एसआईबी अधिभार क्रमशः 0.60 प्रतिशत और 0.20 प्रतिशत होगा।’’
आईसीआईसीआई बैंक को ‘बकेट 1’ में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें निजी क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े ऋणदाता को सीईटी 1 भंडार में अतिरिक्त 0.20 प्रतिशत बनाए रखना होगा।
आरबीआई ने कहा कि यह वर्गीकरण 31 मार्च 2024 तक बैंकों से एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित है।
केंद्रीय बैंक ने पहली बार 2014 में डी-एसआईबी से निपटने के लिए रूपरेखा की घोषणा की थी। 2015 और 2016 में एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक को इस सूची में शामिल किया था। 2017 में अन्य दो बैंकों के साथ एचडीएफसी बैंक को भी सूची में शामिल किया गया था।
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