जरुरी जानकारी | एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को बढ़ावा देने का सुझाव दिया

मुंबई, एक अप्रैल भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को प्रोत्साहित करने के लिए कई सुधारों की सिफारिश की है, जिसमें उन्हें लघु वित्त बैंक (एसएफबी) में बदलने के लिए ‘ऑन टैप’ यानी सदा सुलभ आधार पर लाइसेंस देना शामिल है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सितंबर 2018 में शहरी सहकारी समितियों और सूक्ष्मवित्त संस्थानों को खुद को एसएफबी में बदलने की अनुमति दी थी।

एसबीआई में समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने एक टिप्पणी में कहा कि प्रमुख क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) आज भी अधिकतर एसएफबी की तुलना में बहुत बड़े हैं।

घोष ने कहा कि आरआरबी को खुद को एसएफबी में बदलने की अनुमति देने से आरआरबी, यूसीबी (शहरी सहकारी बैंक) और एसएफबी के लिए समान अवसर तैयार होंगे।

सबसे बड़ा आरआरबी बड़ौदा यूपी बैंक है, जिसके बही-खाते का आकार 72,015 करोड़ रुपये है और यह सबसे बड़े एसएफबी - एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक के मुकाबले काफी बड़ा है, जिसके कारोबार का आकार 70,588 करोड़ रुपये है।

दूसरा सबसे बड़ा आरआरबी कर्नाटक ग्रामीण बैंक है, जिसके कारोबार का आकार 54,856 करोड़ रुपये है, जबकि दूसरे सबसे बड़े एसएफबी - इक्विटास का कारोबार सिर्फ 33,240 करोड़ रुपये का है।

आरआरबी में तीसरे स्थान पर आर्यावर्त बैंक (48,649 करोड़ रुपये) है, जबकि तीसरा सबसे बड़ा एसएफबी उज्जीवन लघु वित्त बैंक (27,630 करोड़ रुपये) है।

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