देश की खबरें | सुक्खू के लिए लाया गया समोसा उनकी प्लेट तक नहीं पहुंचा, उत्पन्न हुआ विवाद

नयी दिल्ली/शिमला, आठ नवंबर हिमाचल प्रदेश में समोसा राजनीतिक विवाद का विषय बन गया है। कल एक सरकारी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के लिए मंगाये गये समोसे चूकवश उनके स्टाफ को परोसे जाने को लेकर उत्पन्न इस विवाद पर सरकार और पुलिस ने शुक्रवार को अपना-अपना पक्ष रखा जबकि इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मुद्दे को उछालने की 'बचकानी' हरकत को लेकर भाजपा की निंदा की, वहीं विपक्षी दल ने सरकार की प्राथमिकताओं को लेकर सवाल उठाया और कहा कि यह सरकार देशभर में ''हंसी का पात्र'' बन गई है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को नयी दिल्ली में कहा कि जांच समोसे के बारे में नहीं थी जैसा कि मीडिया ने पेश किया है, बल्कि यह अधिकारियों के ‘खराब आचरण’ का पता लगाने के लिए थी।

सुक्खू ने इस मुद्दे को लेकर उन पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हमले को भी ‘बचकाना’ करार दिया।

इस बीच, अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने कहा कि सही व्यक्ति को समोसा और केक नहीं परोसे जाने के लिए जिम्मेदार लोगों ने अपने एजेंडे के अनुसार काम किया।

विभाग ने कहा कि वह मामले की जांच नहीं कर रहा है। लेकिन एक लिखित रिपोर्ट सौंपी गयी है।

जब अपराध अन्वेषण विभाग (सीआईडी) ​​मुख्यालय में 21 अक्टूबर को एक समारोह में भाग लेने गए मुख्यमंत्री को परोसने के लिए लक्कड़ बाजार स्थित एक होटल से समोसे और केक लाये गये थे। हालांकि, पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट के अनुसार खाने की चीजें समन्वय की कमी के कारण सुरक्षा कर्मचारियों को परोसी गई थीं।

सुक्खू ने नयी दिल्ली में संवादददाताओं से कहा, ‘‘यह जांच अधिकारियों के खराब आचरण के बारे में थी लेकिन मीडिया ने इसे समोसे की सीआईडी जांच का रंग दे दिया। पुलिस महानिदेशक पहले ही इस संबंध में स्पष्टीकरण दे चुके हैं।’’

सुक्खू ने भाजपा पर यह भी आरोप लगाया कि उनकी सरकार को हटाने में ‘ऑपरेशन लोटस’ के विफल हो जाने के बाद से भाजपा उनकी सरकार को बदनाम करने का अभियान चला रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस मुद्दे को उठाने में भाजपा का व्यवहार बचकाना एवं हास्यास्पद है।’’

उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में हार जाने के बाद से ही भाजपा उनकी सरकार की छवि खराब करने की कोशिश कर रही है और बाद में भी उसे इसमें भी सफलता नहीं मिली।

सीआईडी ​​महानिदेशक रंजन ओझा ने शिमला में कहा कि यह एक आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा,‘‘मुख्यमंत्री साइबर अपराध शाखा के लिए डेटा सेंटर की शुरुआत पर पर मुख्य अतिथि थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ कार्यक्रम के बाद, अधिकारी कार्यालय में चाय पी रहे थे, तभी किसी ने पूछा कि समारोह के लिए लाया गया खाने-पीने का सामान कहां है और हमने कहा, 'पता करो क्या हुआ'।’’

ओझा ने कहा, ‘‘न तो हमने कोई नोटिस जारी किया है और न ही कोई स्पष्टीकरण मांगा है। मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। हमने केवल स्पष्टीकरण मांगा कि क्या हुआ था और एक लिखित रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। हमारा किसी के खिलाफ कार्रवाई करने का कोई इरादा नहीं है।’’

इस बीच हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए प्रदेश भाजपा ने कहा राज्य सरकार को हिमाचल प्रदेश के विकास से कोई सरोकार नहीं है और लगता है कि उसका एकमात्र ध्यान ‘मुख्यमंत्री के समोसे’ पर है।

विधानसभा में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार के फैसले देश में चर्चा का विषय बन गए हैं क्योंकि ये बिना सोचे समझे लिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि जब ये फैसले हास्य का विषय बन जाते हैं तो इन्हें बदलने का प्रयास किया जाता है।

ठाकुर ने एक वीडियो बयान में पूछा, ‘‘विपक्ष ने वे समोसे नहीं खाए हैं और जिन्हें समोसे परोसे गए वे सरकार का हिस्सा थे, इसलिए यह कृत्य सरकार विरोधी कैसे हो सकता है?’’

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीर माना होगा और इसीलिए समोसा प्रकरण की जांच कराई गई।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई के पूर्व प्रमुख सतपाल सत्ती ने कहा, ‘‘इतने छोटे से मामले की जांच कराना और फिर उसे सरकार विरोधी कृत्य बता देना आश्चर्यजनक है। मुझे लगता है कि कांग्रेस सरकार को लोगों की कोई चिंता नहीं है, क्योंकि उनकी मुख्य चिंता यह है कि उनके समारोहों में समोसे कैसे परोसे जा रहे हैं। यह सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है और हंसी का पात्र बन गई है।’’

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने एक बयान में कहा, ‘‘राज्य सरकार को हिमाचल प्रदेश के विकास से कोई सरोकार नहीं है। लगता है कि उसका एकमात्र ध्यान ‘मुख्यमंत्री के समोसे’ पर है। ’’

सीआईडी रिपोर्ट में कहा गया है कि महानिरीक्षक रैंक के एक अधिकारी ने पुलिस के एक उपनिरीक्षक (एसआई) को मुख्यमंत्री के दौरे के लिए होटल से कुछ खाने-पीने की चीजें लाने को कहा था। उपनिरीक्षक ने बदले में एक सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) और एक हेड कांस्टेबल को खाने-पीने की चीजें लाने का निर्देश दिया।

एएसआई और हेड कांस्टेबल ने होटल से तीन सीलबंद डिब्बों में अल्पाहार लाकर एसआई को सूचित किया।

पुलिस अधिकारियों ने अपने बयान में कहा कि जब उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद पर्यटन विभाग के कर्मचारियों से पूछा कि क्या तीनों डिब्बों में रखा अल्पाहार मुख्यमंत्री को परोसा जाना था, तो उन्होंने कहा कि ये मेन्यू (खाने-पीने की विवरणिका) में शामिल नहीं थे।

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल उस एसआई, जिसने एएसआई और हेड कांस्टेबल को होटल से अल्पाहार लाने का काम सौंपा था, को ही इस बात की जानकारी थी कि तीनों डिब्बे सुक्खू के लिए थे।

जिन महिला निरीक्षक को खाद्य सामग्री (समोसे एवं केक) सौंपी गई थी, उन्होंने किसी वरिष्ठ अधिकारी से पूछे बिना ही अल्पाहार को यांत्रिक परिवहन (एमटी) अनुभाग को भेज दिया।

इस प्रक्रिया में अल्पाहार के तीन डिब्बों का कई लोगों के हाथों में आदान-प्रदान हुआ।

सीआईडी ​​विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने अपनी टिप्पणी में लिखा है कि जांच रिपोर्ट में उल्लेखित सभी व्यक्तियों ने ‘‘सीआईडी ​​और सरकार विरोधी तरीके’’ से काम किया है, जिसके कारण ये वस्तुएं अतिविशिष्ट लोगों को नहीं दी जा सकीं।

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