देश की खबरें | शिअद ने विरसा सिंह वल्टोहा का इस्तीफा स्वीकार किया

चंडीगढ़, 16 अक्टूबर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ ने पार्टी नेता विरसा सिंह वल्टोहा का पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। वल्टोहा को सिख धर्मगुरुओं का चरित्र हनन करने का दोषी पाया गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा ने बुधवार को यह जानकारी दी।

अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने वल्टोहा को तलब किया था और आपात बैठक के दौरान उनके खिलाफ कार्रवाई की थी।

सिख धर्मगुरुओं के ‘‘चरित्र हनन का दोषी’’ पाए जाने पर अकाल तख्त ने उन्हें शिरोमणि अकाली दल से निष्कासित करने का निर्देश जारी किया था जिसके बाद वल्टोहा ने मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।

चीमा ने बुधवार को ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘शिअद कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर एस. भूंदड़ ने विरसा सिंह वल्टोहा का प्राथमिक सदस्यता और शिअद में सभी पदों से इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है।’’

वल्टोहा ने आरोप लगाया था कि जत्थेदार शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल से संबंधित मामलों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) एवं कुछ अन्य के दबाव में होते हैं। वल्टोहा को अपने इन आरोपों के पक्ष में सबूत देने का निर्देश दिया गया था।

शिअद के निर्देश के बाद वल्टोहा ने कहा कि उन्होंने स्वेच्छा से अकाली दल की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। वहीं, मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि मैं एक अकाली हूं और मेरी रगों में अकाली खून दौड़ता है।’’

वल्टोहा ने कथित तौर पर सिख धर्मगुरुओं द्वारा शिअद प्रमुख को ‘तनखैया’ (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित करने में देरी पर सवाल उठाया था।

अकाल तख्त ने 30 अगस्त को सुखबीर को 2007 से 2017 तक उनकी पार्टी की सरकार द्वारा की गई ‘‘गलतियों’’ के लिए ‘तनखैया’ (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया था।

सोमवार को सिखों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ अकाल तख्त के जत्थेदार ने शिअद के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ को एक फरमान जारी कर वल्टोहा को 24 घंटे के भीतर पार्टी से निष्कासित करने और उनकी सदस्यता 10 साल के लिए समाप्त करने का निर्देश दिया।

वल्टोहा ने लिखित स्पष्टीकरण दिया और व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर माफी मांगी। लेकिन सिख धर्मगुरुओं, जिनमें तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह भी शामिल थे, ने वल्टोहा को सिख धर्मगुरुओं के चरित्र हनन का दोषी पाया।

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