मुंबई, दो दिसंबर महाराष्ट्र रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (महारेरा) ने घर खरीदने वालों को उनके नुकसान की भरपाई के लिए विभिन्न कंपनियों से 200 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की है। प्राधिकरण ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए अपने वसूली प्रयासों को और तेज करने की योजनाओं की रूपरेखा भी बताई।
महारेरा ने आधिकारिक बयान में कहा कि उसने राज्य भर में 705.62 करोड़ रुपये की वसूली के लिए 1,163 वारंट जारी किए हैं और 139 रियल एस्टेट परियोजनाओं से जुड़े 283 वारंटों के जरिए रियल एस्टेट कंपनियों से 200.23 करोड़ रुपये वसूले हैं।
बयान में कहा गया है कि अकेले मुंबई उपनगरीय और पुणे से 378 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली बकाया है। इसमें तेजी लाने के लिए मुंबई उपनगरीय और पुणे में जिला कलेक्टरों के कार्यालयों में सेवानिवृत्त तहसीलदारों (राजस्व अधिकारियों) की नियुक्ति जैसे विशिष्ट प्रयास किए जा रहे हैं।
बयान के अनुसार, 200 करोड़ रुपए की वसूली में से, मुम्बई शहर में 13 परियोजनाओं में 22 वारंटों से 46.47 करोड़ रुपए, मुम्बई उपनगरीय क्षेत्र में 42 परियोजनाओं में 85 वारंटों से 76.33 करोड़ रुपए और पुणे में 36 परियोजनाओं में 57 वारंटों से 39.10 करोड़ रुपए की वसूली की गई।
मुंबई उपनगरीय और पुणे में वसूली धीमी है, जहां 304.45 करोड़ रुपये और 189.82 करोड़ रुपये के नोटिस जारी किए गए हैं, लेकिन बिल्डरों ने कम रकम चुकाई है।
महारेरा के चेयरमैन मनोज सौनिक ने कहा, “महारेरा ने मुंबई उपनगरीय और पुणे के जिला कलेक्टरेट कार्यालयों में प्रायोगिक आधार पर सेवानिवृत्त तहसीलदारों की नियुक्ति करने का निर्णय लिया है, जहां वसूली के मामले अधिक हैं और बकाया राशि भी अधिक है। आवश्यकता के अनुसार, अन्य जिलों में भी इसी तरह की नियुक्तियों पर विचार किया जाएगा।”
नियामक घर खरीदारों की शिकायतें सुनता है और डेवलपर को निर्धारित समय सीमा के भीतर ब्याज, नुकसान के लिए मुआवजा या धन वापसी का भुगतान करने के लिए कहता है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)