नयी दिल्ली, 18 नवंबर सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि पिछले पांच महीनों में दालों की खुदरा कीमतों में काफी स्थिरता आई है। चना, अरहर, उड़द और मूंग की कीमतों में या तो गिरावट आई है या आयात को बढ़ावा देने और जमाखोरी पर अंकुश लगाने के विभिन्न उपायों के कारण पिछले वर्ष की तुलना में ये स्थिर बनी हुई है।
एक सरकारी बयान के अनुसार, दालों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति में भी पिछले पांच महीनों के दौरान निरंतर गिरावट आई है, जो जून, 2021 के 10.01 प्रतिशत से घटकर अक्टूबर, 2021 में 5.42 प्रतिशत रह गई है।
अक्टूबर, 2020 में दलहन मुद्रास्फीति की दर 18.34 प्रतिशत थी। इसी तरह, दालों के लिए थोक बिक्री मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जून, 2021 में 11.56 प्रतिशत से घटकर अक्टूबर, 2021 में 5.36 प्रतिशत रह गई है।
बयान में कहा गया है, ‘‘जून, 2021 से पिछले पांच महीनों में दालों की खुदरा कीमतें काफी हद तक स्थिर हो गई हैं। आज की तारीख में, चना, अरहर, उड़द और मूंग की कीमतों में या तो गिरावट आई है या पिछले साल की तुलना में स्थिर बनी हुई है।’’
सरकार ने कहा कि दालों की खुदरा कीमतों में स्थिरता उसके द्वारा पूर्व सुनियोजित प्रयासों और सक्रिय उपायों के कारण हासिल की गई है। इन उपायों में 15 मई, 2021 से अरहर, उड़द और मूंग के आयात को प्रतिबंधित से 'मुक्त श्रेणी' में किया जाना भी शामिल है।
अरहर (अरहर) का आयात 2021-22 के अप्रैल-नवंबर के दौरान बढ़कर 4,27,796 टन हो गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 1,71,125 टन था। समीक्षाधीन अवधि के दौरान उड़द का आयात पहले के 2,25,548 टन से बढ़कर 3,56,178 टन हो गया, जबकि मूंग का आयात पहले के 22,051 टन से बढ़कर 1,36,007 टन हो गया।
चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-नवंबर के दौरान मसूर का आयात घटकर 4,59,839 टन रह गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 8,33,315 टन था।
सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत दो जुलाई, 2021 को मूंग को छोड़कर सभी दालों पर स्टॉक सीमा लगा दी।
घरेलू उपभोक्ताओं पर उच्च अंतरराष्ट्रीय कीमतों के प्रभाव को कम करने के लिए सरकार ने 27 जुलाई, 2021 से मसूर पर मूल आयात शुल्क और एआईडीसी (कृषि अवसंरचना और विकास उपकर) को घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया।
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