नयी दिल्ली, 12 जुलाई अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सोमवार को मिला-जुला रुख रहा। खुदरा मुद्रास्फीति जून महीने में मामूली कमी के साथ 6.26 प्रतिशत पर आ गयी। हालांकि यह लगातार दूसरे महीने भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से अधिक है। सरकारी आंकड़े के अनुसार वहीं कमजोर तुलनात्मक आधार की वजह से देश के औद्योगिक उत्पादन में (आईआईपी) मई में सालाना आधार पर 29.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े के अनुसार खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 5.15 प्रतिशत होने के बावजूद खुदरा महंगाई दर हल्की कम हुई है। एक महीने पहले यह 5.01 प्रतिशत थी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति मई 2021 में 6.3 प्रतिशत तथा जून 2020 में 6.23 प्रतिशत थी।
दूसरी तरफ, औद्योगिक उत्पादन में मई में 29.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 33.4 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।
एनएसओ के आंकड़े के अनुसार सालाना आधार पर तेल और वसा खंड में महंगाई दर जून महीने में 34.78 प्रतिशत रही। वहीं फलों की महंगाई दर 11.82 प्रतिशत दर्ज की गयी। हालांकि सब्जियों के दामों में सालाना आधार पर 0.7 प्रतिशत की गिरावट रही।
ईंधन और प्रकाश खंड में मुद्रास्फीति 12.68 प्रतिशत रही।
सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक को 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ खुदरा मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। केंद्रीय बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है।
एनएसओ के आंकड़े के अनुसार देश के औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) में मई में सालाना आधार पर 29.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसका मुख्य कारण निम्न तुलनात्मक आधार और विनिर्माण, खनन तथा बिजली क्षेत्रों का बेहतर प्रदर्शन है। हालांकि आईआईपी का यह आंकड़ा महामारी पूर्व स्तर से नीचे है।
मई महीने में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में 34.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। आईआईपी में विनिर्माण क्षेत्र का हिस्सा 77.63 प्रतिशत है।
इसी तरह खनन क्षेत्र का उत्पादन 23.3 प्रतिशत तथा बिजली का 7.5 प्रतिशत बढ़ा।
एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, मई, 2021 में आईआईपी 116.6 अंक पर रहा। पिछले साल इसी महीने में यह 90.2 पर था। मई, 2019 में आईआईपी 135.4 अंक था। आंकड़ों से पता चलता है कि औद्योगिक उत्पादन में सुधार हुआ है, लेकिन यह अब भी मई, 2019 के महामारी पूर्व के स्तर से नीचे है।
औद्योगिक उत्पादन में पिछले साल मार्च में 18.7 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। और अगस्त 2020 तक नकारात्मक दायरे में रहा था।
खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े के बारे में खाद्य तेल का शीर्ष संगठन सेंट्रल आर्गनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड (सीओओआईटी) के चेयरमैन सुरेश नागपाल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में जून के दूसरे पखवाड़े से खाद्य तेल के दाम में नरमी आनी शुरू हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार ने भी शुल्क कम किया है और अगले कुछ महीनों के लिए कुछ खाद्य तेलों के आयात पर प्रतिबंध हटा दिया है। परिणामस्वरूप, जून के मध्य से थोक और खुदरा दोनों बाजारों में खाद्य तेलों की कीमतों में नरमी आई है। हमें उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में कीमतें मौजूदा स्तर पर बनी रहेंगी।’’
कोटक महिंद्रा बैंक की वरिष्ठ अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा कि मई में आश्चर्यजनक से अधिक रहने के बाद जून में महंगाई दर में कमी उम्मीद से अधिक है। यह राहत की बात है।
उन्होंने कहा कि सकल मुद्रास्फीति अभी भी ऊंची बनी हुई है और जोखिम बना हुआ है। मंडी के प्रमुख आंकड़े जुलाई में खाद्य कीमतों में और नरमी का संकेत देते हैं। इससे आने वाले समय में मुद्रास्फीति के 6 प्रतिशत से नीचे आने की संभावना है।’’
भारद्वाज ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि मौद्रिक नीति समिति आर्थिक वृद्धि को गति देने के उद्देश्य से अगस्त में मौद्रिक नीति समीक्षा में मौजूदा नीतिगत रुख को बरकरार रखेगी। हालांकि साल के अंत तक मौद्रिक नीति धीरे-धीरे समान्य होनी शुरू होगी।’’
औद्योगिक उत्पादन के बारे में इक्रा लि. की प्रधान अर्थशास्त्री ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर की रोकथाम के लिये विभिन्न राज्यों में लगायी गयी पाबंदियों से आईआईपी में वृद्धि मई में सालाना आधार पर 29 प्रतिशत पर सिमट गयी।
प्राइमस पार्टनर्स के प्रबंध निदेशक श्रवण शेट्टी ने कहा, ‘‘मई में आईआईपी 29.3 प्रतिशत बढ़ा है जिससे पता चलता है कि दूसरी लहर के प्रभाव से निपटने के लिए आपूर्ति श्रृंखला ने पिछले साल की तुलना में खुद को अधिक ढाला है। इससे पहली तिमाही अच्छी रहने की उम्मीद है, क्योंकि जून महीने के अन्य प्रमुख आंकड़े (रेल माल ढुलाई, बिजली खप, और जीएसटी आदि) भी सकारात्मक हैं।’’
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा कि जून में भी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक इसी स्तर पर रहने की संभावना है पर जुलाई से इसमें बढ़ोतरी दिख सकती है।
निवेश का संकेतक कहे जाने वाले पूंजीगत सामान क्षेत्र का उत्पादन मई, 2021 में 85.3 प्रतिशत बढ़ा। एक साल पहले समान महीने में इसमें 65.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
समीक्षाधीन महीने में टिकाऊ उपभोक्ता सामान का उत्पादन 98.2 प्रतिशत बढ़ा, जबकि मई, 2020 में क्षेत्र का उत्पादन 70.3 प्रतिशत घटा था। उपभोक्ता गैर-टिकाऊ सामान का उत्पादन मई में 0.8 प्रतिशत बढ़ा। एक साल पहले समान महीने में इसमें 9.7 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
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